भारत में अनुवांशिक रूप से संशोधित फसलों की खेती पर पाबंदी लगी हुई है। किसान सिर्फ कपास यानि रुई की एक किस्म की व्यवसायिक खेती कर सकते हैं। लेकिन किसान संगठन जीएम फसलों से बैन हटाने की मांग कर रहे हैं। भारत सरकार की तरफ से लगाई गई पाबंदी के विरोध के रूप में महाराष्ट्र के किसानों ने प्रतिबंधित किस्मों की खेती शुरू कर दी है। उनकी मांग है कि पूरी दुनिया में किसानों को टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया जा रहा है, लेकिन यहां पर जीएम फसलों पर लगी पाबंदी नहीं हटाई जा रही है।
महाराष्ट्र में शेतकारी संगठन के किसानों ने अहमदनगर जिले से बीटी बैंगन की खेती के लिए एक अभियान चलाया है। हालांकि भारत में इस पर रोक है और खेती को अवैध माना जाता है। संगठन की मांग है कि सरकार जीएम फसलों की खेती पर लगे रोक को हटाने में ढिलाई को खत्म करे। वहीं केंद्र सरकार की तरफ से राज्यों को आदेश दिया गया है कि अवैध और प्रतिबंधित किस्मों की खेती करने वालों पर कार्रवाई की जाए।
शेतकारी संगठन की राजनीतिक शाखा स्वतंत्र भारत पार्टी के अध्यक्ष अनिल घनवत ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि दुनिया भर में किसान जीएम फसलों की खेती कर रहे हैं और नवीनतम तकनीक से लाभान्वित हो रहे हैं। हालांकि भारत में किसानों को प्रौद्योगिकी की स्वतंत्रता से वंचित किया जा रहा है।
संगठन के नेताओं ने कहा कि भारत में बीटी बैंगन के बीज एक भारतीय कंपनी द्वारा कृषि विश्वविद्यालय की मदद से विकसित किए जाते हैं। घनवत ने कहा कि इस किस्म को भारत में वैध किया जाना बाकी है, लेकिन बांग्लादेश ने इसे सात साल पहले मंजूरी दे दी थी और इसके किसान बीटी बैंगन की खेती का लाभ उठा रहे हैं। शेतकारी संगठन के अध्यक्ष ललित बहले ने कहा कि किसान प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं क्योंकि जीएम फसल कृषक समुदाय के लिए भविष्य है।