यूपी की जेलों में बंद कैदियों के लिए यूपी सरकार ने समय से पहले रिहाई के वास्ते 60 वर्ष की आयु सीमा की शर्त को हटा दिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। जेल नीति में संशोधन के बारे में विस्तार से बताते हुए, उप्र के कारागार महानिदेशक आनंद कुमार ने बताया, इस आशय का एक निर्णय 7-10 दिन पहले लिया गया था। पहले, आयु सीमा 60 वर्ष थी, इससे पहले किसी कैदी की रिहाई के बारे में विचार नही किया जा सकता था। बाद में, यह विचार किया गया कि यदि किसी व्यक्ति ने 25 वर्ष की आयु में अपराध किया है, तो वह 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने से पहले 35 वर्ष तक जेल में रहेगा। ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे ऐसा व्यक्ति सुधरेगा या सुधार के कोई संकेत दिखाएगा।
कुमार ने बताया, …कैदी को सुधार का अवसर मिलना चाहिए, इस सोच के साथ आयु सीमा (60 वर्ष) को हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार 16 साल की कैद पूरी होने के बाद उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी को रिहा करने पर विचार करेगी अगर इस अवधि के दौरान उसे कोई छूट न मिली हो। या फिर कैदी ने अगर छूट का लाभ लिया है तो 20 वर्ष की कैद के बाद समय पूर्व रिहाई पर विचार किया जाएगा। हालांकि महानिदेशक यह नहीं बता सके कि उप्र की जेलों में बंद कितने कैदियों को इस कदम से फायदा होगा।
उन्होंने कहा, बहुत से कैदियों के पास अब एक अवसर उपलब्ध होगा, और यह उनके लिए उम्मीद की एक किरण होगी, कि अगर वे 16 साल की कैद पूरी करते हैं, तो वे जेल में अच्छे आचरण पर समय से पहले रिहाई के पात्र होंगे। कुमार ने कहा कि अब तक उत्तर प्रदेश की 74 जेलों में करीब 1.20 लाख कैदी बंद हैं, जिनमें केंद्रीय जेल और जिला जेल भी शामिल हैं।