स्वामी प्रसाद मौर्य ने किया कुशीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान

0
31

समाजवादी पार्टी (सपा) से अलग होकर राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी का झंडा थामने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को कुशीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया। मौर्य ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर इसकी घोषणा करते हुए यह भी कहा कि अब देखना यह है कि विपक्ष का ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (‘इंडिया’) उनका समर्थन करता है या नहीं। उन्होंने देवरिया सीट से भी प्रत्याशी का नाम घोषित करते हुए कहा कि जल्द ही कुछ अन्य सीट पर भी उम्मीदवारों का ऐलान किया जाएगा। मौर्य ने ‘एक्स’ पर लिखे अपने संदेश में कहा कि वह 22 फरवरी को राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के गठन के बाद से ही ‘इंडिया’ गठबंधन को जिताने और मजबूत बनाने का प्रयास करते रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘इंडिया’ गठबंधन में सम्मिलित उत्तर प्रदेश के दोनों बड़े दलों के नेताओं से मेरी वार्ता भी हुई एवं उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप मैंने पांच नामों की सूची भी भेजी। मौर्य ने कहा, मैं प्रतीक्षा करता रहा कि उसपर निर्णय कर इन्हीं दोनों दलों की ओर से तय किये गये नामों की घोषणा भी हो, किंतु आज-तक घोषणा नहीं हुई।” उन्होंने ने कहा कि लम्बी प्रतीक्षा के बाद कुशीनगर लोकसभा सीट की जनता की मांग को देखते हुए कुशीनगर की जनता के सम्मान, स्वाभिमान व विकास का संकल्प लेकर मैं कुशीनगर लोकसभा सीट के प्रत्याशी के रूप में खुद को कुशीनगर की जनता को समर्पित कर रहा हूं। पूर्व मंत्री ने कहा, देवरिया लोकसभा सीट से राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के प्रत्याशी एस.एन. चौहान होंगे। शेष नामों की घोषणा भी शीघ्र की जाएगी। उन्होंने कहा, अब देखना यह है कि ‘इंडिया’ गठबंधन में सम्मिलित दल मुझे ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा मानते हैं या भीम आर्मी प्रमुख, चंद्रशेखर आजाद एवं अपना दल (कमेरावादी) की पल्लवी पटेल की तरह गठबंधन का हिस्सा न होने का प्रमाण पत्र देते हैं।

उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीट हैं और ‘इंडिया’ गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी 62, कांग्रेस 17 और तृणमूल कांग्रेस एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। मौर्य की राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी, अपना दल (कमेरावादी) और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने ‘इंडिया’ गठबंधन के तहत कुछ सीट मांगी थी लेकिन उनकी मांग पूरी नहीं हुई। मौर्य 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए थे। उन्होंने फाजिलनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। बाद में सपा ने उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया था। हालांकि सनातन धर्म से संबंधित टिप्पणियों को लेकर पार्टी के अंदर उनका विरोध भी हुआ था जिसके बाद उन्होंने सपा से नाता तोड़कर राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी का झंडा थाम लिया था।

Previous articleलोकसभा चुनाव के प्रथम चरण की आठ सीट के लिए चुनाव मैदान में 80 उम्मीदवार
Next articleचुनावी सभा के दौरान केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के काफिले में शामिल कई गाड़ियों पर पथराव

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here