ठाकुर श्रीप्रियाकांत जू मंदिर(Shri Priyakant Ju Temple) में ब्रज की सातों प्रकार की होली(holi) खेली गयी। श्रद्धालुओं से खचाखच भरे मंदिर प्रांगण में जब हाइड्रोलिक पिचकारी से टेसू का रंग बरसा तो फाग के गीत जीवन्त हो गये। देवकीनंदन महाराज(devakinandan maharaj) के साथ श्रद्धालु व शिष्यों ने ब्रज के प्रमुख महोत्सव का आनंद लिया। ब्रजवासियों की रसीले हास परिहास से शुरू हुई होली लठामार और फूलों की होली में बदल गयी।
छटीकरा मार्ग स्थित प्रियाकान्त जू मंदिर पर होली महोत्सव में उमड़े हजारों भक्तों पर जब भागवत प्रवक्ता देवकीनंदन महाराज ने हॉइड्रोलिक पिचकारी से रंग बरसाया तो श्रद्धालु झूमकर नृत्य करने लगे। टेसू के फूलो से बने सुगंधित रंग की धार जिस भी श्रद्धालु पर पड़ी वह ब्रज की मस्ती में खो गया। वृंदावन में होली की कृष्णकालीन परम्परा और गहरी हो गयी।