यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारत की अध्यक्षता में दिसंबर 2022 से दिसंबर 2023 तक की अवधि में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन को ‘ब्रांड यूपी’ को दुनिया के सामने पेश करने का अवसर करार देते हुए कहा कि यह सम्मेलन राज्य के लिए अपार संभावनाओं से परिपूर्ण होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां उच्चस्तरीय बैठक में राज्य के समग्र विकास के लिए विविध कार्यक्रमों की समीक्षा करते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए और जी-20 सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए उच्चाधिकारियों का मार्गदर्शन भी किया।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यशस्वी नेतृत्व में भारत को आगामी दिसंबर 2022 से दिसंबर 2023 तक विश्व के बड़े राष्ट्रों के समूह जी-20 की अध्यक्षता करने का सुअवसर मिलने जा रहा है।
यह वैश्विक समारोह उत्तर प्रदेश के लिए अपार संभावनाओं से परिपूर्ण होगा और यह कार्यक्रम ‘ब्रांड यूपी’ को दुनिया से परिचय कराने का शानदार मंच बनेगा। योगी ने हिदायत दी कि हमें इस वैश्विक समारोह का लाभ लेना चाहिए, ‘नए भारत के नए उत्तर प्रदेश’ की क्षमता से पूरी दुनिया परिचित हो, इसके लिए हमें राज्य की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक विशेषताओं को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करना होगा और इस संबंध में एक बेहतर कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत की अध्यक्षता वाले जी-20 के एक वर्ष की अवधि में उत्तर प्रदेश के वाराणसी, लखनऊ आगरा और ग्रेटर नोएडा में अलग-अलग कार्यक्रम होने प्रस्तावित हैं। इन जिलों में ‘अतिथि देवो भव’ की भारतीय भावना के अनुरूप आयोजन को भव्य बनाने की तैयारी की जाए। योगी ने कहा, प्रधानमंत्री ने भारत को ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ की संज्ञा दी है और उत्तर प्रदेश के पास समृद्ध इतिहास की विरासत है। जी-20 के मंच पर राज्य की प्राचीन कला, संस्कृति, इतिहास, पुरातात्विक विशेषताओं का संकलन कर प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इस कार्य के लिए आवश्यकतानुसार इतिहासकारों, पुरातत्व विशेषज्ञों, कला-संस्कृति के मर्मज्ञ जनों का समूह बनाकर आवश्यक शोध अध्ययन कराया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा, जनवरी 2023 में प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर विभिन्न देशों में प्रवास करने वाले एकजुट होंगे। इस अवसर पर हमें प्रवासी भारतीयों को उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना” से जोड़ने के प्रयास करने चाहिए। बहुत से प्रवासी भारतीयों ने इस योजना में रुचि दिखाई है और यह योजना आमजन को विकास कार्यों में प्रत्यक्ष भागीदार बनने का सहज माध्यम है। प्रधानमंत्री के दूरदर्शी विचारों से प्रकाशित राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ज्ञान के सैद्धांतिक और व्यावहारिक आयामों के बेहतर समावेश की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह नवीन नीति समाज को स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों के अनुरूप स्कूल और उच्च शिक्षण संस्थानों में यथाशीघ्र पाठ्यक्रम को संशोधित किया जाए और चार वर्षीय स्नातक की व्यवस्था को लागू करने के लिए आवश्यक बदलाव किया जाए।