समाजवादी पार्टी (सपा) ने चुनाव आयोग समेत देश की सभी संवैधानिक संस्थाओं से रामपुर विधानसभा उपचुनाव में पुलिस प्रशासन द्वारा मतदाताओं को वोट देने से रोक कर लोकतंत्र की हत्या किए जाने का संज्ञान लेते हुए उसकी जांच कराने की मांग की है। विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडे ने पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पर संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि सरकार ने सोमवार को हुए रामपुर विधानसभा उपचुनाव में अन्याय की पराकाष्ठा कर दी और जिस तरह पुलिस की मदद से एक खास धर्म और वर्ग के मतदाताओं को वोट देने से रोका गया वह लोकतंत्र की हत्या के समान है। उन्होंने कहा, हम चुनाव आयोग सहित सभी संवैधानिक संस्थाओं से अपील करते हैं कि वे रामपुर उपचुनाव के दौरान हुई ज्यादती का स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच कराएं क्योंकि अब यह मामला किसी व्यक्ति का नहीं है बल्कि लोकतंत्र की रक्षा का है।
संवाददाता सम्मेलन के दौरान पांडे ने रामपुर में पुलिस की कथित ज्यादतियों के पीड़ित लोगों के वीडियो भी दिखाए। उन्होंने रामपुर विधानसभा क्षेत्र के खेत कलंदर खां, हाजी नगर, हामिद इंटर कॉलेज और अलीनगर बूथों पर पड़े मतों का आंकड़ा पेश करते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा मतदाताओं को रोके जाने के कारण इन बूथों पर मात्र नौ से 10 प्रतिशत ही वोट पड़े, जबकि पिछले लोकसभा उपचुनाव को छोड़ दें तो रामपुर विधानसभा क्षेत्र में इससे पहले मत प्रतिशत कभी 58 फीसद से कम नहीं रहा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में मतदान का अधिकार सबसे बड़ा हक है और सरकार ने इसे छीन लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि रामपुर में निष्पक्ष चुनाव की मांग करने वालों को लाठियों से बुरी तरह पीटा गया।
इस सवाल पर कि क्या सपा रामपुर उपचुनाव के मसले को अदालत तक ले जाएगी, पांडे ने कहा, हमें अब भी चुनाव आयोग पर भरोसा है कि वह इन तमाम तथ्यों की पड़ताल कर आवश्यक कार्यवाही करेगा। गौरतलब है कि रामपुर विधानसभा सीट आजम खां को 2019 में नफरत भरा भाषण देने के मामले में पिछले महीने तीन साल की सजा सुनाए जाने के कारण उनकी सदस्यता रद्द होने के चलते खाली हुई थी। इस सीट पर उपचुनाव के तहत सोमवार को 33.94% मतदान हुआ था। आजम खां के परिजन ने भी पुलिस पर मुस्लिम मतदाताओं को घर से नहीं निकलने देने और वोट डालने जा रहे लोगों पर लाठीचार्ज करने का आरोप लगाया था। सपा ने इस मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग से कई बार शिकायत की थी।
पांडे ने राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र की अवधि को पूर्व निर्धारित तीन दिन के बजाय दो ही दिनों में समाप्त कर देने पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार जनता से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं चाहती इसलिए एक साजिश के तहत सत्र को दो ही दिनों के अंदर समाप्त कर दिया गया। उन्होंने कहा कि विधानसभा की कार्य मंत्रणा समिति ने सत्र की कार्यवाही पांच, छह और सात दिसंबर को कराने का निर्णय लिया था। इस दौरान जनता से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात होनी थी लेकिन सरकार लोकतंत्र को खत्म करने में लगी है।
पांडे ने आरोप लगाया कि राज्य में सरकार के गठन के नौ महीने गुजर जाने के बावजूद विधानसभा के विभिन्न समितियां नहीं बनायी गयी हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करने वाली यह संभवत: देश की पहली सरकार है और इससे पता चलता है कि सरकार जनता के मुद्दों को लेकर कितनी असंवेदनशील है। उन्होंने कानपुर की सीसामऊ सीट से सपा विधायक इरफान सोलंकी पर एक महिला का घर जलाने के मामले में मुकदमा दर्ज किये जाने का जिक्र करते हुए कहा कि यह मामला आरोप लगाने वाली महिला और कानपुर विकास प्राधिकरण के बीच विवाद का है। मगर सरकार जानबूझकर विपक्ष के लोगों को निशाना बना रही है।