झूठे आरोपों का सामना करने वाले पुरुषों को पर्याप्त कानूनी और भावात्मक समर्थन मिले: दिनेश शर्मा

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Lucknow: Keshav Prasad Maurya being sworn-in as the UP Deputy Chief Minister by Governor Ram Naik during the swearing-in ceremony in Lucknow on Sunday. Another Dy CM Dinesh Sharma is also seen. PTI Photo by Nand Kumar (PTI3_19_2017_000191B)

राज्यसभा में सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सदस्य ने महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा और शोषण से जुड़े कानूनी प्रावधानों के दुरुपयोग पर चिंता जताई और झूठे आरोपों का सामना करने वाले पुरुषों के लिए पर्याप्त कानूनी और भावात्मक समर्थन की मांग उठायी। उच्च सदन में शून्यकाल के तहत इस मामले को उठाते हुए भाजपा के दिनेश शर्मा ने बेंगलुरु की एक निजी कंपनी में काम करने वाले अतुल सुभाष की आत्महत्या का उल्लेख किया और घरेलू हिंसा तथा उत्पीड़न से जुड़े कानून को लिंग-निरपेक्ष (जेंडर न्यूट्रल) बनाए जाने की अपील की। मूल रूप से बिहार के रहने वाले सुभाष ने अपने ‘सुसाइड नोट’ में पारिवारिक विवाद और उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे।

शर्मा ने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि वर्ष 2022 में भारत में आत्महत्या करने वालों में 72 प्रतिशत यानी 1,25,000 पुरुष थे जबकि महिलाओं की संख्या लगभग 47,000 थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से 2021 के बीच पुरुष और महिलाओं के आत्महत्या के अनुपात में काफी वृद्धि हुई है और इस दौरान 107.5 प्रतिशत अधिक पुरुषों ने पारिवारिक समस्याओं को आत्महत्या का कारण बताया। पुरुष और महिलाओं के लिए संतुलित कानूनी सुरक्षा की जरूरत पर बल देते हुए शर्मा ने कहा कि कानून ने महिलाओं को घरेलू हिंसा और शोषण से बचाने में बहुत प्रगति की है लेकिन ऐसी ही हिंसा और शोषण से पुरुषों के लिए सुरक्षा का अभाव चिंता का विषय है। अतुल सुभाष की आत्महत्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ”यह घटना इस बात पर रोशनी डालती है कि झूठे आरोपों का सामना करने वाले पुरुषों के लिए पर्याप्त कानूनी और भावात्मक समर्थन नहीं है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 के प्रावधानों के दुरुपयोग की समस्या भी गंभीर चिंता का विषय है।” उन्होंने कहा, ”मैं अनुरोध करता हूं कि घरेलू हिंसा और उत्पीड़न से जुड़े कानून को जेंडर न्यूट्रल बनाया जाए ताकि सभी के साथ न्याय हो सके। अगर सिस्टम की कमी के कारण एक भी व्यक्ति अपनी जान दे देता है तो यह हमारे लिए आत्ममंथन का समय है। झूठे आरोप लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि न्याय प्रणाली की निष्पक्षता और सच्चाई को बरकरार रखा जा सके।” भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 में कहा गया है कि ‘जो कोई भी व्यक्ति किसी महिला का पति या पति का रिश्तेदार होने के नाते, किसी भी महिला के साथ क्रूरता करता है, उस व्यक्ति पर बीएनएस की धारा 85 के तहत मामला दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी। सरल शब्दों में, यह धारा ऐसे व्यक्ति पर लागू होती है जिसमें किसी महिला का पति या पति का कोई भी रिश्तेदार, महिला पर क्रूरता (किसी को पीड़ा पहुंचाना) करता है। इसमें महिला को पहुंचाया गया शारीरिक और मानसिक नुकसान दोनों शामिल हैं। ज्ञात हो कि अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद देश में कई ऐसे मामले सामने आए जिनमें पुरुषों ने अपनी पत्नियों या उनके परिवारों द्वारा प्रताड़ित किए जाने के आरोप लगाए।

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