बिजनौर की नगीना सीट से आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने सोमवार को आरोप लगाया कि हाथरस भगदड़ कांड और अलीगढ़ में अल्पसंख्यक समुदाय के एक युवक की पीट-पीटकर की गई हत्या से यह साबित हो गया है कि उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। अलीगढ़ में 18 जून को फरीद उर्फ औरंगजेब की पीट-पीटकर हत्या किए जाने का मामला सामने आया था। फरीद और गत दो जुलाई को हुए हाथरस भगदड़ कांड में मारे गये लोगों के परिजन से मुलाकात करने आये आजाद ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘ये दोनों घटना इस बात का स्पष्ट संकेत देती हैं कि उत्तर प्रदेश की पुलिस लोगों की सेवा का अपना नैतिक अधिकार खो चुकी है।’
उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों ही मामलों में पुलिस निर्दोष लोगों को फंसा रही है और दोषी खुलेआम घूम रहे हैं। आजाद ने अलीगढ़ की घटना का जिक्र करते हुए कहा, ‘मृतक के परिजन ने मुझे बताया कि बर्बरतापूर्ण पिटाई किये जाने से फरीद के शरीर की 22 हड्डियां टूट गयी थीं। उसे लोहे और स्टील की छड़ों से पीटा गया और यह पूरी वारदात सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गयी थी।’ उन्होंने दावा किया कि इस मामले में नामजद होने के बावजूद छह से ज्यादा आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं जबकि मृतक के कई परिजनों के खिलाफ डकैती के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। सांसद ने कहा कि इससे साफ पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में न्यायतंत्र किस तरीके से काम कर रहा है। आजाद ने कहा कि वह इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे और लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर उन्हें इस बारे में अवगत कराएंगे।
हाथरस में हुई भगदड़ मामले में प्रवचनकर्ता हरिनारायण साकार विश्वहरि उर्फ ‘भोले बाबा’ की गिरफ्तारी नहीं किये जाने के सवाल पर सांसद ने कहा, ‘मैं कैसे किसी ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी की मांग कर सकता हूं जिसे पुलिस ने मुकदमे में नामजद करना ठीक नहीं समझा।’ हालांकि, उन्होंने कहा कि भगदड़ मामले में निर्दोष लोगों को पकड़ा जा रहा है जबकि यह पूरा हादसा प्रशासन की घोर विफलता का नतीजा था। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्संग स्थल पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिये सुरक्षा के कोई बंदोबस्त नहीं किये गये थे क्योंकि ”प्रशासन की नजर में किसी गरीब की जिंदगी का कोई मोल ही नहीं है।” आजाद ने राज्य सरकार द्वारा हाथरस भगदड़ कांड में मारे गये लोगों के परिजन को दो-दो लाख रुपये की सहायता दिये जाने को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि यह समाज में हाशिये पर खड़े लोगों के प्रति सरकार के उदासीन रवैये को जाहिर करता है।