ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने वाले जज को मिला धमकी भरा लेटर

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यूपी के वाराणसी ज्ञानवापी मामले की प्रारंभिक सुनवाई करने वाले न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर को अब तक अनजान एक मुस्लिम संगठन की ओर से धमकी भरा पत्र मिला है। वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर ने इस पत्र के संबंध में यूपी सरकार के अपर मुख्य सचिव (गृह) को सूचित कर आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। दिवाकर ने ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी सहित अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शन पूजन करने की अनुमति संबंधी हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल अर्जी पर प्रारंभिक सुनवाई के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद का वीडियोग्राफी सर्वे कराने का आदेश दिया था। सर्वे के बाद उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर यह मामला वाराणसी जिला जज को हस्तांतरित कर दिया गया था।

दिवाकर ने अपर मुख्य सचिव (गृह) को बताया कि ज्ञानवापी मामले से जुड़े मुकदमे, राखी सिंह आदि बनाम यूपी सरकार आदि की सुनवायी उन्होंने की है, अत: उन्हें धमकी भरा पत्र मिलने के संबंध में उचित कार्रवाई करने का कष्ट करें। इस बीच वाराणसी के पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश ने बताया कि दिवाकर की सुरक्षा के लिए नौ पुलिसकर्मी तैनात किये गये हैं। साथ ही, ज्ञानवापी प्रकरण की आगे सुनवाई करने वाले जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की सुरक्षा के लिये 10 पुलिसकर्मी तैनात किये गये हैं।

पुलिस आयुक्त ने बताया कि दिवाकर को मिले धमकी भरे पत्र के मामले की जांच उप पुलिस आयुक्त (वरुणा क्षेत्र) आदित्य लांग्हे जांच कर रहे हैं। इस बीच लखनऊ से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश की राजधानी में रह रहीं दिवाकर की मां के आवास पर भी सुरक्षकर्मी तैनात कर दिये गये हैं। ज्ञात हो कि दिवाकर की अदालत में हुयी प्रारंभिक सुनवाई के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वजूखाने में एक कथित शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था जिसे इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने नकारते हुए कहा था कि यह फव्वारा है। दिवाकर ने पत्र लिखकर राज्य सरकार को बताया कि उन्हें 07 जून को ‘इस्लामिक आगाज मूवमेंट’ नामक संगठन की ओर से धमकी भरा पत्र मिला है। दिवाकर ने इसे शासन के संज्ञान में लाते हुए इस पर उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

दिवाकर ने पत्र में बताया कि उक्त संगठन का खुद को अध्यक्ष बताते हुए काशिफ अहमद सिद्ददीकी नामक व्यक्ति ने संगठन के लेटर पेड पर हाथ से लिखा पत्र भेजा है। उन्होंने बताया कि दिल्ली के पते से चार जून को भेजे गए इस पत्र में आरोप लगाया गया है, वर्तमान विभाजित भारत की घृणा भरी राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक वातावरण में अब न्यायाधीश भी केसरिया भगवा रंग में सराबोर हो चुके हैं। फैसला उग्रवादी हिंदुओं और उनके तमाम संगठनों को प्रसन्न करने के लिये सुनाते हैं और ठीकरा विभाजित भारत के मुसलमानों पर फोड़ते हैं। दिवाकर ने पत्र में कहा कि उक्त व्यक्ति ने उन्हें काफिर बुतपरस्त (मूर्तिपूजक) हिंदू न्यायाधीश करार देते हुए लिखा है कि कोई भी काफिर मूर्तिपूजक हिंदू जज से मुसलमान सही फैसले की आशा नहीं कर सकते हैं। पत्र लिखने वाले ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को भी उग्रवादी हिंदू संगठन बताते हुए आरोप लगाया है कि आरएसएस और उसके आनुषंगिक संगठन गुजरात की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में दंगा कराने की साजिश रच रहे हैं।

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