पेंशन से पूर्व आहरित राशि की वसूली पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई

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प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश में इंडियन ओवरसीज बैंक के सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रबंधक की पेंशन से कम्युटेशन राशि (पेंशन से पूर्व आहरित राशि) की वसूली पर रोक लगा दी है और बैंक को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार द्वारा इंडियन ओवरसीज बैंक से वरिष्ठ प्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुए सुधीर कुमार अग्रवाल की रिट याचिका पर जारी किया गया। पेंशन के कम्युटेशन का अर्थ पेंशनभोगी द्वारा स्वेच्छा से त्याग किए गए पेंशन के एक हिस्से के बदले एकमुश्त राशि का भुगतान है जिसकी वसूली पेंशन की राशि से काटकर की जाती है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एके गुप्ता ने दलील दी कि पेंशन के कम्युटेशन के एवज में किस्तों में वसूली 10 वर्ष और आठ माह में की जानी थी। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता 2012 में सेवानिवृत्त हुआ और कम्युटेशन की कुल रकम 7,14,000 रुपये थी जिसकी वसूली के लिए प्रतिमाह 6,066 रुपये की किस्त बनती है और 10 वर्ष आठ माह में यह किस्त पूरी होती है।

उन्होंने कहा कि चूंकि बैंक ने वसूली जारी रखी, याचिकाकर्ता से 1,95,810 रुपये अधिक वसूल लिए गए। यदि इसी तरह से वसूली जारी रहती है तो याचिकाकर्ता को बिना किसी उचित कारण भारी वित्तीय नुकसान होगा। बैंक के वकील मनीष मल्होत्रा ने दलील दी कि इंडियन ओवरसीज बैंक (कर्मचारी) पेंशन नियमन, 1995 के अध्याय आठ के उपबंध पांच के मुताबिक, कुल वसूली 15 वर्षों की अवधि के भीतर की जानी है, तभी मूल पेंशन बहाल होगी। हालांकि, मल्होत्रा यह नहीं बता सके कि जब पेंशन से पूर्व आहरित राशि की वसूली पहले ही की जा चुकी है तो 15 वर्ष की ऊपरी सीमा अवधि के साथ किस प्रकार से वसूली जारी रहेगी। अदालत ने 22 अगस्त के अपने आदेश में याचिकाकर्ता की पेंशन राशि से आगे वसूली पर रोक लगाते हुए इस मामले में अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद करने का निर्देश दिया था।

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