ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे: सुप्रीम कोर्ट का आदेश, शिवलिंग की हो रक्षा, नमाज में न हो बाधा

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सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के वाराणसी काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में उस क्षेत्र की रक्षा करने का यूपी को निर्देश दिया, जहां हिंदू पक्ष के अनुसार एक ‘शिवलिंग’ पाया गया था। शीर्ष अदालत ने यह भी आदेश दिया कि किसी भी मुसलमान को वहां ‘नमाज’ अदा करने से न तो रोका जाएगा और न ही कोई बाधा उत्पन्न की जाएगी। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने संबंधित मस्जिद पक्ष और यूपी सरकार की दलीलें सुनने के बाद इस संबंध में जिलाधिकारी को निर्देश जारी किए। शीर्ष अदालत ने राखी सिंह के नेतृत्व में ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पूजा करने की अनुमति के लिए निचली अदालत में याचिका दायर करने वाली पांच महिलाओं को नोटिस जारी किया। इन महिलाओं ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मंदिर होने की मान्यता का हवाला देते हुए वहां पूजा की अनुमति के लिए अदालत से गुहार लगाई थी।

शीर्ष अदालत इस मामले में अगली सुनवाई 19 मई को करेगी। शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान वाराणसी की निचली अदालत के समक्ष चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने के अंजुमन-ए-इंतेजामिया मस्जिद वाराणसी प्रबंधन समिति की दलीलें खारिज कर दीं। समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुज़ेफ़ा अहमदी ने एक के बाद एक कई दलीलें दी, लेकिन पीठ में उसे अस्वीकार कर दिया। समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण के लिए नियुक्त कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति सवाल किया था। समिति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 21 अप्रैल के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसने निचली अदालत द्वारा सर्वेक्षण करने के संबंध में जारी आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।

इस बीच निचली अदालत के आदेश के मुताबिक ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का 14, 15 और 16 मई सर्वेक्षण किया गया था। शीर्ष अदालत के समक्ष मस्जिद पक्ष के वकील ने कहा, कमिश्नर ने इस तथ्य के बावजूद सर्वेक्षण किया कि यह (उच्चतम न्यायालय अदालत) अदालत इस मामले पर विचार कर रही है। सर्वेक्षण कार्यवाही बेशक बेहद गोपनीय थी, फिर भी निचली अदालत ने दूसरे पक्ष को नोटिस दिए बिना परिसर को सील करने के सिर्फ एक पक्ष के आवेदन पर कार्रवाई की। अहमदी ने आरोप लगाते हुए कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर सील किए जाने के बाद अब यथास्थिति को बदलने की कोशिश की जा रही है।

मुसलमानों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। वे पहले की तरह नमाज अदा नहीं कर पा रहे हैं। संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने निचली अदालत के उस आदेश को संशोधित करने को प्राथमिकता दी, जिसमें सर्वेक्षण के बाद शिवलिंग मिलने का दावा करते हुए इलाके को सील करने और वहां मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगाने का आदेश दिया गया था। यूपी सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों के बाद शीर्ष अदालत ने उस स्थान के ‘वजुखाना’ के उपयोग की अनुमति नहीं दी, जहां ‘शिवलिंग’ पाए जाने का दावा किया गया है। मेहता ने दलील दी थी कि अगर कोई वहां अपने पैर का इस्तेमाल करता है, तो यहां कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

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