यूपी में कांग्रेस का 2024 आम चुनावों के लिए सक्रिय होना अभी बाकी

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कांग्रेस को हाल के विधानसभा चुनावों में करारी शिकस्त के बाद यूपी में अपनी स्थिति में सुधार के लिए जद्दोजहद का सामना करना पड़ रहा है और पार्टी के एक तबके को यह लगता है कि इस काम में देरी से 2024 के आम चुनावों में पार्टी की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं। कांग्रेस की यूपी इकाई के अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी को लेकर पार्टी के कुछ नेताओं ने चिंता जाहिर की है। मार्च में विधानसभा चुनावों में पार्टी के अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन के बाद अजय कुमार लल्लू को हटाए जाने के बाद से राज्य में पार्टी का अध्यक्ष पद खाली है। यूपी की 403 सदस्यीय विधानसभा के हाल के चुनावों में कांग्रेस को केवल दो सीट मिली थीं जो उसके द्वारा 2017 में जीती गईं सात सीट के मुकाबले पांच कम रहीं।

विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा जून के पहले सप्ताह में तीन दिवसीय नवसंकल्प कार्यशाला में शामिल होने आई थीं, लेकिन उसी दिन वापस चली गईं थी। इसके बाद उन्होंने खुद के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की सूचना सार्वजनिक की थी। हालांकि, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पार्टी की स्थिति सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के समक्ष अपनी संख्या बढ़ाने और अंतिम किले रायबरेली (जहां से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी निर्वाचित हैं) को बचाने की चुनौती है।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीट हैं जिनमें से कांग्रेस के पास मात्र एक सीट बची है और 2019 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता स्मृति ईरानी से राहुल गांधी के पराजित होने के बाद वह अपनी प्रतिष्ठित अमेठी सीट भी खो चुकी है। पार्टी के कुछ नेताओं ने अगले आम चुनाव से पहले राज्य पार्टी प्रमुख का पद खाली होने की ओर भी इशारा किया। उत्तर प्रदेश कांग्रेस समिति (यूपीसीसी) के एक पूर्व प्रमुख ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, पार्टी की यूपी इकाई में पहचान और अस्तित्व का संकट है, खासकर अब तक प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति न होने के कारण। पार्टी कार्यकर्ता दुविधा की स्थिति में है और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर उंगलियां उठ रही हैं।

नेता ने कहा, 2019 के लोकसभा चुनाव में हार और उसके बाद के प्रदर्शन (2022 विधानसभा चुनाव) ने भी पार्टी कार्यकर्ताओं के मन में अनिश्चितता पैदा कर दी है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी के एक अन्य नेता ने स्वीकार किया, राज्य इकाई प्रमुख की अनुपस्थिति में पार्टी कार्यकर्ताओं को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पार्टी के वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. एल. पुनिया ने बताया, जहां तक पार्टी की गतिविधियों का सवाल है, कांग्रेस पार्टी के किसी भी कार्यकर्ता के जीवन में कोई नीरस क्षण नहीं हैं। उन्होंने बताया कि पार्टी पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह सात सितंबर से कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत जोड़ो यात्रा शुरू करेगी, जिसमें पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित पार्टी के कार्यकर्ता और नेता शामिल होंगे।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश से पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई को जल्द ही अपना प्रमुख मिल जाएगा। यूपी को छह क्षेत्रों में विभाजित करने और उनमें से प्रत्येक इकाई के लिए एक कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने की भी संभावना है। इस अवधारणा को खारिज करते हुए कि पार्टी प्रदेश प्रमुख की अनुपस्थिति से पार्टी की लोकसभा चुनाव की तैयारियों को नुकसान पहुंच रहा है, उत्तर प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के पूर्व नेता प्रदीप माथुर ने कहा, उत्तर प्रदेश में हर कांग्रेस कार्यकर्ता जानता है कि उनके लिए नेता प्रियंका गांधी जी हैं। सभी जानते हैं कि वह उत्तर प्रदेश की महासचिव और प्रभारी हैं। कार्यकर्ता उनसे सीधे जुड़े हुए हैं और वह पार्टी कार्यकर्ताओं के संपर्क में हैं।
उन्होंने कहा, जहां तक हमारी तैयारियों का सवाल है, पार्टी कार्यकर्ता लगभग हर रोज मोटरसाइकिल पर 15 किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं, जिससे जनता के साथ संबंध मजबूत बनेंगे।

माथुर ने दावा किया, पार्टी के कार्यकर्ता उत्साह से पार्टी के कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं और लोकसभा चुनाव की तैयारियों में हम किसी भी तरह से पीछे नहीं हैं। उत्तर प्रदेश विधान परिषद के एक पूर्व सदस्य ने कहा, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को जल्द ही इसका प्रमुख मिल जाएगा। देरी हो रही है, इस बार यह तय किया गया है कि पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख की नियुक्ति कार्यकर्ताओं से सलाह मशविरा करके की जाएगी। पार्टी पहले ही महंगाई के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन कर चुकी है और पार्टी की जिला इकाइयां लगातार काम कर रही हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अशोक सिंह ने कहा, ”पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही है और देशभर के लोग एक विकल्प की तलाश में हैं।

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