उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को विपक्ष की पूर्ववर्ती सरकारों की आलोचना करते हुए कहा कि पहले गन्ने का भुगतान वर्षों तक लटका रहता था, लेकिन आज गन्ना किसानों को एक हफ्ते में भुगतान हो रहा है। मुख्यमंत्री ने शनिवार को यहां राज्य गन्ना उत्पादन प्रतियोगिता के विजेताओं के बीच प्रमाण पत्रों का वितरण किया एवं प्रदेश की 25 सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों के नवनिर्मित भवनों का ऑनलाइन लोकार्पण किया। इस मौके पर अपने संबोधन में योगी ने कहा, छह वर्ष पहले प्रदेश के गन्ना किसानों को पर्ची के लिए परेशान होना पड़ता था। उनकी पर्ची की चोरी के साथ गन्ने की घटतौली होती थी।
ऐसे में वे आंदोलन करने को मजबूर होते थे और साथ ही चीनी मिल के असमय बंद होने से किसानों को परेशान होना पड़ता था। उन्होंने कहा कि पहले बरसों तक गन्ना किसानों को बकाया गन्ने का भुगतान नहीं होता था जबकि 2017 में राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही 2010 से लेकर 2017 तक के बकाया का भुगतान करने के लिए मिशन मोड पर काम शुरू किया गया और आज गन्ना किसानों का एक हफ्ते में भुगतान हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति पर आज प्रदेश में चीनी मिलें चीनी के साथ इथेनॉल भी बनाने का काम कर रहीं हैं, उसी का परिणाम है कि पूरे देश में उत्तर प्रदेश गन्ना उत्पादन में नंबर वन होने के साथ ही इथेनॉल, चीनी उत्पादन, खांडसारी यूनिट्स में भी नंबर वन है।
उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम में एक हेक्टेयर में 2640 कुंतल गन्ने की पैदावार करने वाले किसान मौजूद हैं, जिसे पहले असंभव माना जाता था लेकिन हमारे अन्नदाता किसानों ने अपने सामर्थ्य और परिश्रम से यह साबित करके दिखाया है। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों के भवन खाद और गोदाम के लिए भी उपयोगी साबित हो सकते हैं, इस दिशा में प्रयास करने होंगे, इसी को ध्यान में रखते हुए 25 नये भवनों का लोकार्पण संपन्न हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2007 से 2017 तक गन्ना मूल्य का भुगतान एक लाख करोड़ रुपये के आसपास हुआ था, जबकि 2017 से 2023तक 2,13400 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान डीबीटी के माध्यम से सीधे गन्ना किसानों के खातों में किया गया है। उनका कहना था कि इतना ही नहीं, खांडसारी में जो 500 टन अतिरिक्त गन्ना पेराई हुई है उसका नकद भुगतान किया गया है, साथ ही एथेनॉल का अलग से भुगतान किया जा रहा है।