गोरखपुर। उत्तर प्रदेश में गोरखपुर तथा बस्ती मंडल के 41 विधान सभा क्षेत्रों में नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी राजनैतिक दलों ने जनसम्पर्क में ताकत झोंक दी है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने देर से ही सही, मगर सभी विधानसभा क्षेत्रों में जातिगत समीकरणों को देखते हुए उम्मीदवार उतारे हैं जिससे लड़ाई बहुत दिलचस्प होने की संभावना है। दोनो मंडलों की जिन विधान सभा सीटों पर सपा ने अपने उम्मीदवारों के टिकट काटे थे, वे बसपा का दामन थाम चुनाव मैदान में उतर गये है। इन उम्मीदवारों ने अब सपा के लिए लड़ाई मुश्किल कर दी है जिसका सीधा लाभ भाजपा को मिलने के आसार हैं।
कुशीनगर जिले में फाजिलनगर विधान सभा सीट पर भाजपा छोड़ कर आये सपा उम्मीदवार स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ बसपा ने इलियास अंसारी को मैदान में उतारा है। वह मौर्य की राह को कठिन बनाने की कोशिश में हैं। देवरिया जिले के पथरदेवा सीट पर सपा के पूर्व मंत्री मरहूम शाकिर अली के पुत्र परवेज को सपा से टिकट न मिलने पर बसपा ने अपना उम्मीदवार बना दिया है जिसके कारण सपा के पूर्व मंत्री ब्रहमाशंकर त्रिपाठी के लिए लड़ाई मुश्किल हो गयी है। बस्ती मंडल में इसी तरह संतकबीरनगर जिले की मेंहदावल सीट पर बसपा ने दाविश खान को और धनघटा (सु) सीट से संतोष चौहान को मैदान में उतारा है। चौहान भी भाजपा से टिकट नहीं मिलने के बाद बसपा में आये है। इस कारण इस सीट पर लड़ाई त्रिकोणीय हो गयी है। इसी तरह बस्ती जिले के हरैया विधान सभा सीट पर पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह को उम्मीदवार बनाकर बसपा ने सपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। इसी जिले के रूधौली सीट पर अशोक कुमार मिभ और डुमरियागंज सीट पर अशोक कुमार तिवारी को उम्मीदवार बनाकर बसपा ने ब्राह्मण वोटों में सेंधमारी की है। इस कारण आक्रोशित ब्राह्मण वर्ग सपा से छिटक कर बसपा में जाने की चर्चा है। इसका सीधा लाभ भाजपा को मिल सकता है। गोरखपुर और बस्ती मंडल की 41 विधान सभा सीटों पर बसपा की इस रणनीति से सपा की साइकिल त्रिकोणीय मुकाबले में चल रही है।