उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों पर प्रचार युद्ध थमने के बाद पसरे सन्नाटे के बीच आज सोमवार को मतदाता की खामोशी टूटेगी। राज्य के करीब 82 लाख मतदाताओं के वोट न सिर्फ 632 प्रत्याशियों की किस्मत तय कर रहे हैं, बल्कि राज्य का भविष्य भी लिख रहे हैं। 2022 का विधानसभा चुनाव बदलाव के लिहाज से कुछ मायनों में अहम माना जा रहा है।
ये चुनाव खांटी सियासी दिग्गज हरीश रावत, गोविंद सिंह कुंजवाल, बंशीधर भगत, सतपाल महाराज सरीखे उम्रदराज नेताओं के सियासी भविष्य के लिए निर्णायक दांव हो सकता है। सिर्फ उनके लिए नहीं, मैदान में उतरे सभी प्रत्याशियों के लिए यह चुनाव जातीय, क्षेत्रीय और विकास से जुड़े समीकरणों के लिहाज से आखिरी माना जा रहा है।
नए परिसीमन के बाद 2027 में होने वाले चुनाव में 70 विधानसभा सीटों पर कहीं कम तो कहीं ज्यादा भौगोलिक समीकरण प्रभावित होंगे। ये बदलाव सियासी दलों और नेताओं की नई सियासी व चुनावी रणनीति तय करेगा।
चुनावी समर में 82 लाख मतदाताओं की सबसे पहले यह जानने की बेताबी रहेगी कि प्रदेश की सत्ता पर किस दल की सरकार काबिज होगी।