Uttarakhand Assembly Election: पिता को मिली चुनावी हार का बदला लेने की तैयारी में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की बेटियां

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देहरादून। उत्तराखंड में कोटद्वार और हरिद्वार (ग्रामीण) सीटों पर दिलचस्प मुकाबला होने की संभावना है। इन दो निर्वाचन क्षेत्रों से दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की बेटियां अपने पिता की हार का बदला लेने की तैयारी कर रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी की बेटी रितु खंडूरी भूषण को कोटद्वार सीट से जबकि कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत को हरिद्वार ग्रामीण सीट से मैदान में उतारा है। खंडूरी 2012 में कोटद्वार से और हरीश रावत 2017 में हरिद्वार ग्रामीण सीट से चुनाव हार गए थे। दोनों ने तब निवर्तमान मुख्यमंत्री के तौर पर चुनाव लड़ा था।

कांग्रेस उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह नेगी ने 2012 में कोटद्वार में खंडूरी को 4,623 मतों से हराकर जीत दर्ज की थी। नेगी को 31,797 वोट मिले थे जबकि खंडूरी को 27,194 वोट मिले थे। इसी तरह, 2017 में हरिद्वार ग्रामीण से चुनाव लड़ने वाले हरीश रावत भाजपा के स्वामी यतीश्वरानंद से 12,278 मतों से चुनाव हार गए थे। जो बात इस मुकाबले को और दिलचस्प बनाती है, वह यह है कि इन दोनों का मुकाबला चुनौती देने वालों उन्हीं लोगों यानी नेगी और यतीश्वरानंद से है, जिन्होंने उनके पिता को हराया था। राज्य में 14 फरवरी को चुनाव है।

रितु खंडूरी भूषण ने 2017 में यमकेश्वर सीट से चुनावी जीत के साथ राजनीति में कदम रखा था। वहीं कोटद्वार के पूर्व विधायक और हरीश रावत सरकार में मंत्री रहे नेगी पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट से हार गए थे। नेगी पहले ही एक बार कोटद्वार सीट जीत चुके हैं और अनुभव के मामले में रितु भूषण से आगे हैं। वहीं रितु एक नया चेहरा हैं, और भाजपा के एक कद्दावर नेता की बेटी होने के नाते माहौल उनके पक्ष में काम कर सकता है। भुवन चंद्र खंडूरी को कई लोगों द्वारा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले मुख्यमंत्रियों में से एक माना जाता है। हालांकि, धीरेंद्र चौहान, जिन्हें भाजपा ने कोटद्वार से टिकट से नहीं दिया वे अब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे हैं और वह रितु खंडूरी भूषण की जीत की संभावना को खतरे में डाल सकते हैं।

चुनाव पर नजर रखने वालों का कहना है कि अनुपमा रावत, जो पहली बार चुनावी लड़ रही हैं, वह हरिद्वार ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र में काफी समय से कड़ी मेहनत कर रही हैं और जमीनी स्तर पर लोगों के साथ जुड़ी हुई हैं। हालांकि उनका मानना है कि दो बार के विधायक और पुष्कर सिंह धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद यहां से तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। इसलिए उन्हें हराना अनुपमा रावत के लिए बड़ी चुनौती हो सकता है।

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