लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने लखनऊ में डेंगू के जमीनी हालात ‘दयनीय’ होने के बावजूद सरकारी दस्तावेजों में सबुछ ठीक बताए जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने इसके साथ मामले की अगली सुनवाई नौ नवंबर को तय की है। पीठ ने टिप्प्णी की कि अगर उसकी अपनी एजेंसी होती तो वह निश्चित रूप से सरकारी आंकड़ों की जांच करती, जिसमें कहा गया है कि स्थिति नियंत्रण में है और राजधानी के सरकारी अस्पतालों में वेक्टर जनित बीमारियों की जांच व इलाज के लिए बिस्तर और अन्य सुविधाओं की कमी नहीं है।
न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की पीठ ने शहर में डेंगू के खतरे को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। पीठ ने अगली सुनवाई नौ नवंबर को तय की। वहीं, बृहस्पतिवार के आदेश के अनुपालन में अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता अमिताभ राय ने अदालत के सामने राज्य सरकार से निर्देश प्राप्त करके कहा कि सरकार डेंगू, चिकनगुनिया, वायरल बुखार और अन्य वेक्टर जनित रोगों के इलाज के लिए समुचित कदम उठा रही है और केजीएमयू, राम मनोहर लोहिया सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में दवाओं और बिस्तर की कहीं कोई कमी नहीं है और न ही कोई मरीज बिना इलाज वापस भेजा जा रहा है।
राज्य के वकील को हलफनामे पर सरकार से प्राप्त विवरण दाखिल करने का निर्देश देते हुए, पीठ ने उन्हें हलफनामे में उन कदमों को इंगित करने का निर्देश दिया, जो उत्तर प्रदेश मलेरिया रोकथाम और नियंत्रण के प्रावधानों के तहत आवश्यक होने पर उठाए जा सकते थे। अदालत ने कहा कि सरकार के हलफनामे में यह भी बताया जाए कि 2016 में वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम के लिए बने नियमन के अनुपालन में क्या कदम उठाये गये हैं। पीठ ने राज्य के वकील को हलफनामे में यह बताने का भी निर्देश दिया कि क्या राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र के विशेषज्ञों से न केवल वेक्टर जनित बीमारियों से पीड़ित रोगियों के इलाज के लिए बल्कि उनकी रोकथाम के लिए भी सलाह ली गई थी।
पीठ ने कहा, हलफनामे में यह भी बताया जाए कि राज्य के अधिकारियों ने लोगों को वेक्टर जनित बीमारियों के खतरों और निवारक उपायों के बारे में शिक्षित करने के लिए क्या उपाय किए हैं। इस बीच पीठ ने नगर निगम के अधिवक्ता नमित शर्मा से कहा है कि वह नगर आयुक्त का हलफनामा दाखिल कर बताएं कि शहर में मच्छरों की रोकथाम और सफाई के लिए क्या किया जा रहा है।