अभिषेक उपाध्याय। उत्तर प्रदेश में अवैध खनन की समस्या ने न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी गहरा आघात दिया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की हालिया रिपोर्ट ने इस मुद्दे पर कड़ी चेतावनी दी है। अगस्त 2025 में विधानसभा में पेश की गई इस रिपोर्ट में 2017 से 2022 तक की अवधि में अवैध खनन से उत्पन्न अनियमितताओं का खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 11 जिलों में 268.91 हेक्टेयर क्षेत्र में अनधिकृत खनन से राज्य को 408.68 करोड़ रुपये का राजस्व हानि हुई है। कुल वित्तीय प्रभाव 784.54 करोड़ रुपये अनुमानित है, जो निगरानी की कमी और प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है।
रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। खनन पट्टाधारकों ने 45 मामलों में 26.89 लाख घन मीटर खनिज का अनधिकृत निष्कर्षण किया, लेकिन वसूली प्रक्रिया धीमी रही। सबसे विवादास्पद है वाहनों का दुरुपयोग। एंबुलेंस, बुलडोजर, शव वाहन, अग्निशमन वाहन और ई-रिक्शा जैसी अनुपयुक्त वाहनों को खनिज परिवहन के लिए ई-ट्रांजिट पास जारी किए गए। 17 जिलों में 85,928 वाहनों के लिए 4,48,637 फर्जी पास जारी हुए, जिससे 24,51,021 घन मीटर खनिज का अवैध परिवहन संभव हुआ। ये अनियमितताएं बंडेलखंड, पश्चिमी और पूर्वी यूपी के जिलों जैसे चित्रकूट, सोनभद्र, प्रयागराज में पाई गईं।
सोनभद्र में बसपा विधायक उमाशंकर सिंह से जुड़ी फर्मों पर अवैध पत्थर, रेत और मोरंग खनन का आरोप लगा है, जिससे 60 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। रिपोर्ट ने खनन विभाग की निगरानी प्रणाली की पोल खोली है। केंद्रीय निगरानी प्रणाली का उपयोग न होने और सैटेलाइट इमेजरी की अनदेखी से अवैध क्रशर संचालन बढ़ा। पर्यावरणीय क्षति के अलावा, सामाजिक प्रभाव भी गंभीर है—नदियों का क्षरण, वन विनाश और स्थानीय समुदायों पर बोझ।
इस रिपोर्ट का संदेश स्पष्ट है। अवैध खनन केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि पारिस्थितिक संकट है। योगी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के बावजूद ये खामियां उजागर हुईं, जो प्रशासनिक सुधार की मांग करती हैं। विपक्ष ने इसे घोटाले का ठहराया है, जबकि सरकार ने वसूली और सख्त कार्रवाई का वादा किया। संसदीय समिति ने भी केंद्र से राज्यों को निर्देश देने की सिफारिश की। यदि समय रहते सुधार न हुए, तो यूपी की प्राकृतिक संपदा और विकास दोनों खतरे में पड़ेंगे। यह रिपोर्ट एक जागृति का आह्वान है—कानून का पालन, पारदर्शिता और तकनीकी उपयोग से ही अवैध खनन रोका जा सकता है।

