भारत में कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो गई है और रोजाना कोरोना के मामलें बढ़ते ही जा रहे है। लेकिन अच्छी बात यह है कि अधिकतम मरीज होम आइसोलेशन में ही रहकर ठीक हो रहे हैं। इन सबके बीच एक चिंताजनक बात सामने आई है वह यह है कि सर्दी-जुकाम या माइल्ड कोरोना होने पर लोग डॉक्टरों के पास सलाह लेने नहीं जा रहे बल्कि दोस्तों या रिश्तेदारों की सलाह पर ही एंटीबायोटिक की दवाएं ले रहे हैं। जिससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता घट सकती है।
डॉ. विजय गुर्जर का बयान
दिल्ली एम्स के पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर और दिल्ली के प्राइमस सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में जैरिएट्रिक मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. विजय गुर्जर ने बताया कि कोरोना महामारी के आने के बाद से लोगों ने एजीथ्रोमाइसिन एंटीबायोटिक जैसी दवाओं के नाम रट लिए हैं और थोड़ा सा भी सर्दी-जुकाम या माइल्ड लक्षणों वाला कोरोना होने पर बिना कुछ सोचे-समझे एंटीबायोटिक ले लेते है। अनावश्यक रूप से एंटीबायोटिक लेना खतरनाक हो सकता है।
डॉ. विजय गुर्जर कहते हैं कि जब भी लोग किसी की सलाह पर ये एंटीबायोटिक्स लेते हैं तो कई गलतियां करते हैं। वे कभी भी एंटीबायोटिक का पूरा कोर्स नहीं करते हैं। कोई एक दो खुराक लेकर ही छोड़ देता है तो कुछ लोग तीन दिन ये दवाएं लेता हैं। उन्होंने बताया कि इस दवा की पहली शर्त इसका पूरा कोर्स ही है जो कम से कम 5 दिन का होता है।
डॉ. विजय ने यह भी बताया कि जब बिना जरूरत के ज्यादा एंटीबायोटिक्स ले ली जाती हैं तो फिर ये सुपर बग बन जाते हैं। और फिर व्यक्ति को कोई इलाज नहीं मिल पाता या उसके शरीर पर कोई इलाज काम नहीं करता और उसकी मृत्यु के आसार भी बढ़ जाते है।