लखनऊ। भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) पर हमला करते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को कहा कि आयोग ने 2022 के उत्त्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मतदाता सूची के नियमों का पालन नहीं किया। गौरतलब है कि बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग ने यादव से उनके इस आरोप पर सबूत मांगा था कि इस साल उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान हर विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची से यादव और मुस्लिम समुदायों के मतदाताओं के नाम सामूहिक रूप से हटा दिये गये थे। शुक्रवार को यादव ने यहां नगर निगम चुनाव की तैयारियों पर चर्चा के लिए आयोजित एक बैठक के दौरान कहा, ”निर्वाचन आयोग ने यदि स्वयं विधानसभा चुनाव 2022 में मतदाता सूची सम्बंधी नियमों का पालन किया होता तो हजारों मतदाता मतदान से वंचित नहीं रह जाते। भाजपा सरकार द्वारा विपक्ष की आवाज को दबाने की साजिश की जाती है। चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से हों, यह संवैधानिक दायित्व निर्वाचन आयोग का है।
उन्होंने कहा कि बिना किसी भय या प्रलोभन के मतदान की प्रक्रिया सुनिश्चित करना भी चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। उन्होंने सवाल किया कि 2022 के विधानसभा चुनाव से सम्बन्धित तमाम शिकायतों और ज्ञापनों का संज्ञान चुनाव आयोग द्वारा क्यों नहीं लिया गया? सपा के एक बयान के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ”विधानसभा चुनाव 2022 में तमाम धांधलियां हुई जिनके प्रति पार्टी ने लगातार आपत्तियां की थीं। चुनाव के दौरान लखनऊ में एक पुलिस अधिकारी की लगातार शिकायतें करने के बावजूद उनका स्थानांतरण नहीं किया गया जबकि सरोजनी नगर क्षेत्र में उनके पति भाजपा प्रत्याशी थे। वर्षों से एक ही जगह जमे ऐसे कई अधिकारियों को भी हटाया नहीं गया। कई जगह पति-पत्नी दोनों अधिकारी प्रभार संभाल रहे थे, पर उनको भी वहां रहने दिया गया।
यादव ने कहा, पिछले विधानसभा चुनाव में हजारों मतदान स्थल भी क्यों बदल दिए गए? इससे कई मतदाता भटकते रहे। तमाम मतदाताओं के नाम सूची से बाहर हो गए। शासन-प्रशासन, मशीनरी द्वारा मतदान में देरी की गई और मनमाने तरीके से मतदान कराया गया। बयान के मुताबिक यादव ने कहा कि कई जगह पीठासीन अधिकारी के पास की सूची और अन्तिम सूची में भी अन्तर क्यों पाया जाता है? उन्होंने कहा कि अभी अन्तिम मतदाता सूची बनी नहीं, मतदान की प्रक्रिया की घोषणा भी नहीं हुई लेकिन भाजपा नेता नगर निगम के सभी 17 स्थानों पर काबिज हो जाने का दावा कैसे कर सकते हैं?
सपा प्रमुख ने कहा कि निर्वाचन अधिकारी को इसका संज्ञान लेना चाहिए कि कहीं यह विधानसभा चुनाव 2022 की तरह निकाय चुनाव में भी धांधली का भाजपाई एजेण्डा तो नहीं है? बृहस्पतिवार को आयोग ने यादव को लिखे पत्र में कहा था कि वह सपा द्वारा इस संबंध में जिला और राज्य निर्वाचन अधिकारियों के समक्ष की गई शिकायतों के बारे में 10 नवम्बर तक क्षेत्रवार साक्ष्य प्रस्तुत करें।
यादव ने पिछले महीने पार्टी की एक बैठक को संबोधित करते हुए निर्वाचन आयोग पर हर विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम और यादव वोटों के नाम ‘हटाने’ का आरोप लगाया था। ऐसी जानकारी है कि आयोग ने यादव से कहा था कि उसे किसी भी निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची से 20,000 मतदाताओं के नाम हटाने की कोई शिकायत नहीं मिली है। आयोग ने यह भी कहा कि उसके जिला और राज्य निर्वाचन अधिकारियों ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम सामूहिक रूप से हटाने के बारे में सूचित नहीं किया है। निर्वाचन आयोग ने कहा कि सपा के एक उम्मीदवार ने अलीगंज विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची से 10,000 मतदाताओं के नाम हटाने की शिकायत की थी। आयोग ने कहा कि जांच किये जाने पर उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इन आरोपों को ”निराधार और तथ्यात्मक रूप से गलत” पाया था। आयोग ने कहा कि चुनावी वर्ष के दौरान मतदाताओं के नामों को स्वत: हटाने पर ”कड़ाई से रोक” है।