समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को बसपा प्रमुख मायावती पर निशाना साधते हुए कहा, हम बहुजन समाज में सेंध लगाने नहीं, बहुजन समाज को बांधने वाले हैं। बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष मायावती ने रविवार को पार्टी की विशेष बैठक में बिना नाम लिए अखिलेश यादव पर बसपा को कमजोर करने के लिए दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया। मायावती ने कहा था, विरोधी दल उत्तर प्रदेश में बसपा को कमजोर करने के साथ-साथ दलितों को गुमराह करके उन्हें पार्टी आंदोलन से अलग करने की साजिश रचते हैं। मीडिया के माध्यम से दलित वोट बैंक में दरार पड़ने की विषैली व घिनौनी खबरें प्रचारित तथा प्रसारित करते रहते हैं। हालांकि, इन खबरों में रत्तीभर भी सच्चाई नहीं होती है।
मायावती के इस बयान के ठीक दूसरे दिन सोमवार को रायबरेली में मान्यवर कांशीराम महाविद्यालय में बसपा संस्थापक कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद समारोह को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा, हम बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और मान्यवर कांशीराम के रास्ते पर चलने वाले लोग हैं। हम बहुजन समाज में सेंध लगाने नहीं, बहुजन समाज को बांधने वाले हैं। यादव ने कहा, आज हम सब दलितों, पिछड़ों, और अल्पसंख्यकों के हक और संविधान को बचाने का संकल्प लेते हैं। उन्होंने वर्ष 1993 में सपा और बसपा के बीच हुए गठबंधन के संदर्भों का हवाला देते हुए कहा, नेताजी (मुलायम सिंह यादव) और मान्यवर कांशीराम ने देश में एक नई तरह की राजनीति शुरू की थी।
यादव ने कहा कि नेताजी ने मान्यवर कांशीराम जी को इटावा से लोकसभा जिताकर संसद पहुंचने में मदद की थी, और देश में नई राजनीति की शुरूआत की थी। सपा मुख्यालय से जारी बयान के अनुसार अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि आज समाज को जोड़ने की जरूरत है। समाजवादी आंदोलन में डॉ0 राम मनोहर लोहिया ने जो रास्ता दिखाया था, वह वही रास्ता है जो बाबा साहब और मान्यवर कांशीराम जी का है। रायबरेली में सोमवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक समारोह का आयोजन किया था जिसमें सपा प्रमुख ने कांशीराम के अलावा मौर्य के पिता बदलू मौर्य की प्रतिमा का भी अनावरण किया।