शुद्ध जल मुहैया कराने के अभियान के मद्देनजर उत्तर प्रदेश के ग्रामीण अंचल की महिलाओं ने दिसम्बर के अंतिम सप्ताह तक पानी के 30,39,687 से अधिक नमूनों का परीक्षण पूरा कर लिया है। केवल नौ महीनों (अप्रैल से दिसंबर) में की गई पानी के नमूनों के परीक्षण उप्र के लिए बड़ी उपलब्धि है। ये ग्रामीण महिलाओं के स्वच्छ जल के आंदोलन में शामिल होने का प्रतीक भी है। एक सरकारी बयान के मुताबिक उप्र में पहली बार ग्रामीण महिलाओं ने अपने गांव में फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) से इतने बड़े स्तर पर खुद से जल स्त्रोतों का परीक्षण किया है। बयान के मुताबिक उप्र की योगी आदित्यनाथ सरकार का प्रयास हर ग्रामीण तक स्वच्छ जल पहुंचाना है। इसके लिये जहां जल जीवन मिशन योजना से जन-जन तक हर घर नल से जल की सुविधा दी जा रही है। वहीं ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाते हुए उन्हें पानी के नमूने जांचने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
उप्र सरकार की ओर से राज्य में चलाए गए जन-जागरूकता का ही असर है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में 22 अप्रैल 2022 से 23 मार्च 2023 तक स्वच्छ जल से सुरक्षा अभियान के तहत गांव-गांव में पानी नमूनों के परीक्षण का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। दूषित पाये गये पानी के 4 लाख 22 हजार नमूनों में से 46 हजार पर जल निगम के इंजीनियरों की ओर से उपचारात्मक कार्रवाई पूरी की जा चुकी है। गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष पूरा होने में तीन महीने अभी बाकी हैं, लेकिन मात्र नौ महीने में इतनी बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाओं की ओर से किया गया जल स्रोतों का परीक्षण बदलते उत्तर प्रदेश की कहानी बयां करता है। पानी नमूनों के परीक्षण की संख्या बढ़ने से जहां लोगों को स्वच्छ पेयजल मिल रहा है, वहीं बीमारियों में कमी आने के साथ ग्रामीण जनता के बेहतर होते स्वास्थ्य का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है।