वाराणसी। यूपी में वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार को ज्ञानवापी शृंगार गौरी मामले की विचारणीयता पर सवाल उठाने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी और कहा कि वह देवी-देवताओं की दैनिक पूजा के अधिकार के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई जारी रखेगी, जिनके विग्रह ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हैं। जिला न्यायाधीश ए.के. विश्वेश ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मामले की विचारणीयता पर सवाल उठाया गया था। मुस्लिम पक्ष ने अदालत के इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की घोषणा की है। इसके साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।
वहीं, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी के काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सोमवार को अगली सुनवाई की तारीख 28 सितंबर, 2022 निर्धारित की। हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया कि जिला न्यायाधीश ए.के. विश्वेश ने मामले की विचारणीयता पर सवाल उठाने वाली याचिका को खारिज करते हुए सुनवाई जारी रखने का निर्णय किया। अदालत में मौजूद एक वकील ने बताया कि जिला न्यायाधीश ने दोनों पक्षों के वादियों और उनके अधिवक्ताओं समेत 32 लोगों की मौजूदगी में 26 पन्नों का आदेश 10 मिनट के अंदर पढ़कर सुनाया। अदालत ने गत 24 अगस्त को इस मामले में अपना आदेश 12 सितंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। मुस्लिम पक्ष के वकील मेराजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि जिला अदालत के इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अदालत के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने ठाणे में संवाददाताओं से कहा, ”यह एक स्वागत योग्य निर्णय है। हालांकि, अब सभी को शांत रहने की जरूरत है और अदालतों को अपना काम करने देना चाहिए। उल्लेखनीय है कि इस मामले में पांच महिलाओं ने याचिका दायर कर हिंदू देवी-देवताओं की दैनिक पूजा की अनुमति मांगी थी, जिनके विग्रह ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हैं। अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद को वक्फ संपत्ति बताते हुए कहा था कि मामला सुनवाई योग्य नहीं है। मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। जिला न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, ”दलीलों और विश्लेषण के मद्देनजर मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि यह मामला उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991, वक्फ अधिनियम, 1995 और उप्र श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम 1983 तथा बचाव पक्ष संख्या 4 (अंजुमन इंतजामिया) द्वारा दाखिल याचिका 35 सी के तहत वर्जित नहीं है, लिहाजा इसे निरस्त किया जाता है।
अदालत के यह फैसला सुनाने के बाद कुछ लोग सड़कों पर आ गये और मिठाइयां बांटकर खुशियां मनायीं। यह मामला 20 अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय के समक्ष भी सुनवाई के लिए आ सकता है, जिसने जुलाई में मामले की सुनवाई के दौरान यह तारीख तय की थी। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने गत 20 मई को ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिंदू श्रद्धालुओं की याचिका को मामले की जटिलता के मद्देनजर वाराणसी के सिविल न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत से जिला न्यायाधीश, वाराणसी की अदालत में हस्तांतरित कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि अच्छा होगा यदि इस मामले की सुनवाई 25-30 वर्ष का अनुभव रखने वाले किसी वरिष्ठ न्यायाधीश से कराई जाये। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा था कि वह सिविल जज की योग्यता को कमतर नहीं आंक रही है, मगर इस मामले की पेचीदगी को देखते हुए यह बेहतर है कि कोई वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी इस मामले की सुनवाई करे। इसके बाद इस मामले को जिला न्यायाधीश ए के विश्वेश की अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था। अदालत द्वारा निर्णय सुनाये जाने के मद्देनजर वाराणसी जिला प्रशासन ने धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी थी और सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये थे। इस बीच, ज्ञानवापी मामले में वाराणसी की अदालत के आदेश का सोमवार को दो केंद्रीय मंत्रियों समेत कई भाजपा नेताओं ने स्वागत किया और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव वाई सत्य कुमार ने इसे सत्य की जीत करार दिया।
विश्व हिंदू परिषद और उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी अदालत के आदेश का स्वागत किया। मौर्य ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, बाबा विश्वनाथ जी मां शृंगार गौरी मंदिर मामले में माननीय न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं, सभी लोग फैसले का सम्मान करें। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, करवट लेती मथुरा, काशी!
केंद्रीय उपभोक्ता राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा, काशी और मथुरा हमारे सनातन धर्म का गौरव हैं। यह निर्णय हमारी संस्कृति के उत्थान के लिए है। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने ज्ञानवापी मामले में वाराणसी जिला अदालत के निर्णय पर ‘संतोष’ व्यक्त करते हुए सोमवार को दावा किया कि इससे पहली बाधा पार हो गई है तथा अदालत के निर्णय को ‘गरिमा’ के साथ स्वीकार करना चाहिए और हार-जीत का मुद्दा नहीं मानना चाहिए। विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने ज्ञानवापी मामले को सुनवाई लायक मानने के वाराणसी जिला अदालत के निर्णय पर संतोष जताया और कहा कि उन्हें पहले ही विश्वास था कि वाराणसी का मामला पूजा स्थल अधिनियम से बाधित नहीं होता है।