लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कहा कि अदालत परिसर की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों को छोड़कर, वकील, वादकारी या अन्य व्यक्ति राज्य के अदालत परिसरों में हथियार नहीं ले जा सकता। पीठ ने जिला न्यायाधीशों, अन्य न्यायिक अधिकारियों, अदालत परिसरों के सुरक्षा प्रभारियों व शस्त्र लाइसेंस प्राधिकारियों को ऐसे दोषी व्यक्तियों (अदालत परिसर में हथियार ले जाने वालों) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और लाइसेंस प्राधिकारी को उनके हथियार लाइसेंस रद्द करने के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की पीठ ने बाराबंकी के युवा वकील अमनदीप सिंह द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अदालत परिसर, अधिवक्ता कक्षों, कैंटीन, बार एसोसिएशन या परिसर में किसी अन्य स्थान पर हथियार ले जाना सार्वजनिक शांति व सुरक्षा का उल्लंघन माना जाएगा। याचिका में याची का शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने संबंधी आदेश को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि वह एक जूनियर अधिवक्ता है और तमाम विपक्षी पक्षकारों की नाराजगी की वजह से उसे जान का खतरा है।
याचिका में कहा गया कि अपने जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए शस्त्र रखना उसका मौलिक अधिकार है। राज्य सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि बाराबंकी कचहरी परिसर में शस्त्र लेकर जाने के कारण याची का लाइसेंस रद्द किया गया है। दरअसल, कानूनी प्रैक्टिस के लिए 2018 में नामांकित किया गया याचिकाकर्ता बाराबंकी अदालत परिसर में लाइसेंसी हथियार लेकर गया था। इसके बाद उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और बाद में जिला मजिस्ट्रेट ने उनका शस्त्र लाइसेंस भी रद्द कर दिया।