उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने हाल ही में हुए आज़मगढ़ एवं रामपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव परिणाम को पार्टी के लिए उत्साहजनक बताते हुए पदाधिकारियों से संगठन को जमीनी स्तर पर और अधिक मजबूत बनाने का निर्देश दिया है, जिससे 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी पुराने प्रदर्शन को दोहरा सके। मायावती ने गुरुवार को यहां स्थित पार्टी कार्यालय में उप चुनाव परिणाम की समीक्षा बैठक में प्रदेश के सभी 18 मंडलों के बसपा के पदाधिकारियों से कहा कि पार्टी के संगठन को ज़मीनी स्तर पर मजबूत बनाने एवं जनाधार के विस्तार के काम को और अधिक तेजी से आगे बढ़ाना होगा। गौरतलब है कि आजमगढ़ लोकसभा सीट पर उप चुनाव में बसपा के उम्मीदवार शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने 29 प्रतिशत से अधिक वोट पाकर समाजवादी पार्टी (सपा) की हार को सुनिश्चित कर दिया। इस चुनाव में विजयी रही भाजपा को 34 प्रतिशत व दूसरे स्थान पर रही सपा को 33 प्रतिशत वोट मिले।
मायावती ने बैठक में इस चुनाव परिणाम को कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि बसपा का सर्वजन हित के लक्ष्य को साधने का प्रयास मज़बूत सैद्धान्तिक राजनीतिक आधार पर टिका है, परन्तु विरोधी शक्तियों के जातिवादी संकीर्ण हथकण्डों के कारण यह अपार जनसमर्थन सही समय पर वोट में तब्दील होने से रह जाता है। उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों को नसीहत दी कि इस तथ्य को ध्यान में रखकर बसपा को काफी सजग होकर आगे काम करना है। बैठक में उन्होंने संगठन के काम की प्रगति रिपोर्ट की मंडलवार गहन समीक्षा की तथा कुछ कमियों को दूर करने का निर्देश भी दिया। बैठक में मायावती ने देश के अगले राष्ट्रपति चुनाव के बारे में कहा कि बसपा अनुसूचित जनजाति समाज की महिला द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह फैसला किसी पार्टी विशेष को समर्थन देने के बजाय आदिवासी समुदाय के बहुजन समाज के अभिन्न अंग होने के नाते किया गया है।
उन्होंने केन्द्र व उप्र सहित सभी राज्य सरकारों से सांप्रदायिक एवं जातिवादी हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ बिना भेदभाव के तथा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सख्त कार्रवाई करने की मांग की। मायावती ने लोगों से भी हर कीमत पर शान्ति-व्यवस्था बनाए रखने की अपील की। बसपा प्रमुख ने सेना में सरकारी नौकरियों की तरह ठेके पर अस्थाई भर्ती के लिये शुरू की गई अग्निपथ योजना के बारे में कहा कि केन्द्र सरकार को देश की सुरक्षा से जुड़ी दूरगामी प्रभाव वाली रक्षा नीति बनाने व उस पर अमल करने से पहले विस्तार से पूरी गंभीरता के साथ सभी पक्षों से विचार-विमर्श करना चाहिए था। ऐसा न होने का ही परिणाम है कि इस नई नीति को लेकर देश में अशांति उत्पन्न हुई। उन्होंने कहा कि कुछ इसी तरह की स्थिति भूमि अधिग्रहण कानून और किसान आन्दोलन के दौरान भी पैदा हो चुकी है।
उन्होंने महाराष्ट्र में सत्ता पलटने के लिये धनबल के खुले खेल से जनहित व जनकल्याण के लगातार प्रभावित होने पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि ऐसी राजनीति से देश का कभी भी भला नहीं हो सकता है। इससे केवल कुछ लोगों का राजनीतिक व आर्थिक हित जरूर सध जाएंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भी ऐसा ही गंदा खेल बीएसपी के साथ राजस्थान सहित अन्य राज्यों में बार-बार खेला है। मायावती ने कहा कि अब भाजपा भी उसी के नक्शेकदम पर चलकर सत्ता हथियाने का खेल चला रही है। यह दुखद व दुर्भाग्यपूर्ण है।