मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयागराज आगमन से एक दिन पूर्व शनिवार को जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि महाराज ने फाफामऊ से दारागंज तक गंगा के तट पर बनाए जा रहे गंगा पथ के निर्माण में देरी लेकर चिंता जताई। उन्होंने शनिवार शाम हुई अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक के बाद यह चिंता जाहिर की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को प्रयागराज महाकुंभ मेले की तैयारियों की समीक्षा करने प्रयागराज आ रहे हैं। वह अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों के साथ भी बैठक कर करेंगे और मेला क्षेत्र का निरीक्षण करेंगे। महंत हरि गिरि ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “दारागंज होते हुए फाफामऊ तक गंगा पथ का निर्माण कार्य पूरा होने में देरी चिंता का विषय है।
मेले की भीड़ को कुंभ मेला क्षेत्र से बाहर रखने के लिए गंगा पथ का निर्माण किया जा रहा है।” उल्लेखनीय है कि गंगा का यह क्षेत्र अधिक समय तक जलमग्न होने से गंगा पथ का निर्माण काफी समय तक रुका रहा और अब मेला प्रशासन युद्ध स्तर पर इस पथ के निर्माण कार्य में जुटा है। मेले में साधु के वेश में फर्जी बाबाओं के आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेले में आने वाले साधु संतों के बारे में उनके संप्रदायों से रिपोर्ट ली जाएगी, जैसे वैष्णव संप्रदाय, नाथ संप्रदाय, सन्यासी आदि के अखाड़ों और मठ मंदिरों से साधु सन्यासियों के पहचान की पुष्टि की जाएगी। दारागंज में निरंजनी अखाड़ा में बैठक के बाद अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि उज्जैन कुंभ की तर्ज पर प्रयागराज के महाकुंभ में अखाड़ों के शाही स्नान की जगह राजसी स्नान सुझाव मिला है।
अगली बैठक में इस सुझाव पर विचार करके प्रस्ताव पारित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार से मां की जाएगी कि सुरक्षा की दृष्टि से साधु-संतों और मीडियाकर्मियों समेत सभी को पहचान पत्र दिया जाए। उन्होंने का कि इसके अलावा, अखाड़ा परिषद की मांग है कि जिस प्रकार महाराष्ट्र में गाय को माता का दर्जा दिया गया, उसी प्रकार पूरे भारत में गाय को माता का दर्जा दिया जाए। मेले में फर्जी बाबाओं के प्रवेश पर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने कहा, “समाज ऐसे ढोंगी पाखंडी बाबा बनाता है और समाज के बड़े-बड़े लोग उनका अनुगमन करते हैं। यदि समाज के लोग ऐसे बाबाओं का बहिष्कार करें तो मेला क्षेत्र में ये लोग नहीं आ पाएंगे।