हिमाचल प्रदेश में हमीरपुर जिले के हरनेड गांव की बुजुर्ग महिला किसान तीर्थू देवी ने प्राकृतिक खेती के ज़रिए उल्लेखनीय सफलता हासिल की है जिससे बिना रासायनिक खाद और ज़हरीले कीटनाशकों का इस्तेमाल किए एक ही खेत में कई फसलें उगाकर अच्छी पैदावार ली जा सकती है। कृषि विभाग की एटीएमए परियोजना के माध्यम से हिमाचल प्रदेश में व्यापक रूप से प्रचारित की जा रही प्राकृतिक खेती की पद्धति को अपनाकर 68 वर्षीय तीर्थू देवी अपने खेतों में एक साथ कई फसलें उगा रही हैं और अपनी उपज का अच्छा दाम पा रही हैं। पिछले महीने समाप्त हुए खरीफ सीज़न के दौरान तीर्थू देवी ने अपने खेतों में देशी मक्का, तिल, सोयाबीन और भिंडी की फ़सलें उगाईं।
उन्होंने इन फ़सलों पर किसी भी रासायनिक खाद या कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया। अत्यधिक बारिश से तिल की फ़सल को नुकसान पहुंचा, लेकिन मक्का, सोयाबीन और भिंडी की अच्छी पैदावार हुई। तीर्थू देवी ने बताया कि उन्होंने सितंबर के पहले हफ़्ते में मक्के की कटाई की थी और सोयाबीन पिछले हफ़्ते तैयार हो गई। हालांकि, स्थानीय भिंडी के पौधे अभी भी रोज़ाना बड़ी मात्रा में भिंडी पैदा कर रहे हैं और बाज़ार में अच्छे दाम पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक साथ तीन फ़सलों से काफ़ी मुनाफ़ा हुआ है। भारी बारिश के कारण तिल की फ़सल नहीं कट पाई।
उन्होंने बताया कि एटीएमए परियोजना के अधिकारियों ने उनके गांव के किसानों में प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता फैलाई और उन्हें फ़सल विविधीकरण अपनाने की सलाह दी। इससे प्रेरित होकर उन्होंने भी प्राकृतिक खेती और फ़सल विविधीकरण को अपनाया। गांव के एक प्रगतिशील किसान ललित कालिया ने भी उनकी मदद की। तीर्थू देवी ने किसानों और बागवानों से प्राकृतिक खेती और फ़सल विविधीकरण अपनाने की अपील करते हुए कहा कि इससे उनकी आय में काफ़ी वृद्धि हो सकती है।

