इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ साल 2000 में लखीमपुर खीरी में हुए प्रभात हत्याकांड में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की जमानत रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगी। अदालत दो सितंबर को मिश्रा को हत्या के मामले में मिली जमानत को निरस्त करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगी। इस याचिका को सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रेणु अग्रवाल की खंडपीठ के समक्ष दो सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया है। यह याचिका पीड़ित पक्ष ने दायर की है। मिश्रा के खिलाफ मामले में आरोप पत्र दायर किया गया था और निचली अदालत ने उन्हें 2004 में आरोपों से बरी कर दिया था।
यूपी सरकार ने मिश्रा को बरी किए जाने के खिलाफ 2004 में उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी। इसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया था और मिश्रा को यह सुनिश्चित करने के लिए जमानती बांड देने को कहा गया था कि वह अपील पर सुनवाई के दौरान उपलब्ध रहेंगे। याचिका में कहा गया है कि मिश्रा की दोषमुक्ति के खिलाफ दाखिल राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई में उनकी ओर से सहयोग नहीं किया जा रहा है लिहाजा उनके बांड को निरस्त किया जाए और अपील पर सुनवाई पूरी होने तक उन्हें हिरासत में रखा जाए। वहीं इस मामले में मिश्रा की ओर से दाखिल स्थानांतरण प्रार्थना पत्र को मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने खारिज कर दिया है।
मिश्रा ने अपने खिलाफ दाखिल इस अपील को उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ से प्रधान पीठ इलाहाबाद स्थानान्तरित की जाने की मांग की थी। लखीमपुर खीरी में 2000 में एक युवक प्रभात गुप्ता की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में अन्य अभियुक्तों के साथ-साथ मिश्रा भी नामजद थे। लखीमपुर खीरी की सत्र अदालत ने मिश्रा व अन्य को पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में 2004 में बरी कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ 2004 में राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की थी।