प्रयागराज में एम्स जैसे संस्थानों की स्थापना को लेकर याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से पूछा कि क्या प्रयागराज में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की तरह एक प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान स्थापित करने की केंद्र सरकार की कोई योजना है? न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की पीठ ने सहज-सारथी फाउंडेशन और एक अन्य संस्थान द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह सवाल पूछा। जनहित याचिका में नगर में स्वास्थ्य सुविधाओं और आधारभूत ढांचे की कमी उजागर की गई। याचिकाकर्ता ने अदालत में दलील दी कि वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, 59 लाख से अधिक की आबादी वाले इस नगर को तत्काल सुदृढ़ स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरत है। याचिका में बताया गया कि नगर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय, मंडलायुक्त कार्यालय और कई केंद्र एवं राज्य सरकार के प्रतिष्ठान हैं और यह नगर एक प्रमुख प्रशासनिक और शैक्षणिक केंद्र है।

याचिकाकर्ता के मुताबिक, इन सबके बावजूद प्रयागराज में चिकित्सा सुविधाओं की भारी कमी है क्योंकि मौजूदा मेडिकल कॉलेज और टीबी सप्रू अस्पताल में स्तरीय सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। याचिकाकर्ता ने बताया कि अस्पताल भवनों की जर्रर हालत और अपर्याप्त चिकित्सा सेवाओं को रेखांकित करते हुए एक हलफनामा भी दाखिल किया गया। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि प्रयागराज, प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के ज्यादातर मानक पूरे करता है, जिसे देखते हुए केंद्र सरकार को प्रयागराज में एम्स जैसा संस्थान स्थापित करना चाहिए। सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने नयी दिल्ली स्थित स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव को हलफनामा दाखिल कर अदालत को यह अवगत कराने को कहा कि क्या प्रयागराज में एम्स जैसा संस्थान स्थापित करने की केंद्र की कोई योजना है? अदालत ने इस मामले की सुनवाई की अगली तिथि एक अगस्त, 2024 तय की।

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