सपा के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी को जमानत मिली, परिवार ने कहा- इंसाफ की बढ़ी उम्मीद

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प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश की सीसामऊ सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी को बृहस्पतिवार को जमानत दे दी। हालांकि, अदालत ने सजा पर रोक लगाने की उनकी अर्जी खारिज कर दी। सोलंकी की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह की पीठ ने पारित किया। सोलंकी को सजा सुनाये जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त होने के कारण सीसामऊ सीट पर हो रहे उपचुनाव में उनकी पत्नी और सपा उम्मीदवार नसीम ने अपने पति को जमानत दिये जाने के फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इससे इंसाफ की उम्मीद बढ़ गयी है। नसीम ने फोन पर बात करते हुए कहा कि अदालत के आदेश से परिवार के लिए न्याय की उम्मीद बढ़ी है और यह साफ हो गया है कि उनके पति बेकुसूर हैं। उन्होंने कहा, ”उच्च न्यायालय का फैसला हमें पूरी तरह स्वीकार्य है। हालांकि अदालत ने सजा पर रोक लगाने की याचिका को स्वीकार नहीं किया। हम सजा पर रोक लगवाने के लिए उच्चतम न्यायालय जाएंगे।

नसीम ने कहा, ”जब भी मैं वोट मांगने के लिए लोगों से मिलने जाती हूं तो सभी मतदाता कहते हैं कि मेरे पति निर्दोष हैं और उच्च न्यायालय के फैसले ने भी इस बात पर मुहर लगा दी है कि इरफान बेकुसूर हैं।” उन्होंने कहा कि परिवार को ईश्वर और न्यायपालिका पर भरोसा है। अदालत ने इस मामले में सजा बढ़ाने की राज्य सरकार की भी अपील खारिज कर दी। जाजमऊ इलाके में डिफेंस कॉलोनी की निवासी फातिमा के मकान में आगजनी करने के आरोप में सोलंकी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। सात जून 2024 के अपने आदेश में कानपुर की एक विशेष अदालत ने सोलंकी और चार अन्य लोगों को दोषी करार देते हुए सात साल के कारावास की सजा सुनाई थी। कानपुर की विशेष अदालत के निर्णय के खिलाफ दायर मौजूदा अपील में जमानत के साथ ही सजा पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था।

वहीं दूसरी ओर, राज्य सरकार ने सजा बढ़ाने के लिए अपील दायर की थी। सोलंकी की मां खुर्शीदा ने भी अदालत के आदेश का स्वागत किया है। उन्होंने दावा किया कि सोलंकी के खिलाफ एक महिला के घर में आग लगाने का मामला झूठे आरोपों पर आधारित है। सोलंकी, उनके छोटे भाई रिजवान और तीन अन्य को एक महिला की जमीन हड़पने के लिए उसके घर में आग लगाने के मामले में इस साल सात जून को सात साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। पुलिस ने करीब दो साल पहले दंगा और आगजनी के आरोप में सोलंकी, उनके भाई रिजवान और करीब चार दर्जन अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

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