फेलिक्स अस्पताल के चेयरमैन डॉ. डी.के. गुप्ता ने बताया कि ट्यूबरक्लोसिस के मरीजों को कोरोना संक्रमण अधिक तेज़ी से असर कर रहा है। उनका कहना है कि ऐसे रोगी जिन्हे पहले से कोई बड़ी बिमारी है उनमे कोरोना तेज़ी से फ़ैल रहा है। और ख़ास तौर पर वह मरीज जिन्हे फेफड़ों से सम्बंधित कोई बिमारी है उन्हें कोरोना होने बहुत ज्यादा है। ऐसे में फेफड़ों की बिमारी से जूझ रहे मरीजों को अधिक सतर्कता बरतनी होगी। थोड़ी सी भी उनके लिए जीवन-और मौत का सौदा साबित हो सकती है।
डॉ. डी. के. गुप्ता ने बताया कि कोरोना संक्रमित होने वालों को खांसी परेशान कर रही है। यह खांसी दो से तीन हफ्तों से अधिक समय तक भी देखी जा रही है। टीबी के लक्षणों में यह प्रमुख है कि यदि दो हफ्ते तक लगातार खांसी होती रहती है तो उसकी जांच करानी चाहिए। आमतौर पर दमा, गले में इंफेक्शन, टॉन्सिलाइटिस, फेरनजाइटिस, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों के इंफेक्शन, निमोनिया या हृदय रोग की वजह से खांसी होती है। लिहाजा खांसी को लेकर सतर्क रहना जरूरी है। चूंकि कोरोना से फेफड़े कमजोर हो जाते हैं, जिससे टीबी का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इस बार कोरोना संक्रमित मरीजों में टीबी के संक्रमण के केसेज भी बहुत मिल रहे हैं। ओमीक्रोन आने के बाद जितने भी कोरोना पॉजिटिव मिले हैं, सभी ए-सिम्टोमेटिक हैं। यानि, संक्रमित तो हैं लेकिन लक्षण दिख नहीं रहे हैं। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि संक्रमण दूसरे व्यक्ति तक नहीं पहुंच सकता। आगामी दो-तीन दिनों में लक्षण दिख भी सकते हैं। इसलिए टीबी मरीजों के लिए बेहतर होगा कि सावधानी बरतें, जांच और इलाज कराएं। संक्रमण से बचना है तो कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवाए। गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बुजुर्गों को चिकित्सक की सलाह पर तीसरी डोज लगवानी चाहिए। इसलिए मरीजों को कोरोना के प्रति सजग रहने की जरूरत है।