किसान नेता राकेश टिकैत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) में विभाजन केंद्र सरकार की वजह से हुआ था। एसकेएम ने 2020-21 किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था। एसकेएम के बैनर तले, बड़ी संख्या में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सीमा बिंदुओं सिंघु, टीकरी और गाजीपुर पर एक साल तक विरोध प्रदर्शन किया था। इन कृषि कानूनों को बाद में निरस्त कर दिया गया था। टिकैत ने कहा, संयुक्त किसान मोर्चा एकजुट होकर दिल्ली से रवाना हुआ था, लेकिन बाद में कुछ लोग अलग हो गए। भारत सरकार एक और आंदोलन खड़ा करना चाहती थी और उन्होंने इसे खड़ा कर दिया।” भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता टिकैत ने कहा कि विभाजन के कारण संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) बना।
एसकेएम फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफी सहित किसानों की मांगों को लेकर एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के जारी आंदोलन का हिस्सा नहीं है। यह आंदोलन 13 फरवरी को संगठनों के ”दिल्ली चलो” मार्च के आह्वान के साथ शुरू हुआ था और तब से किसान, मुख्य रूप से पंजाब से, हरियाणा पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद शंभू सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब में सत्ता में है और शंभू सीमा पर जारी आंदोलन में ज्यादातर किसान इस राज्य से हैं। सीमा पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच पिछली झड़पों का जिक्र करते हुए, टिकैत ने कहा कि एसकेएम ने किसानों के खिलाफ बल प्रयोग की निंदा की है। उन्होंने दावा किया कि हालांकि अलग हुए समूह एसकेएम (गैर-राजनीतिक) ने एसकेएम के साथ कोई चर्चा शुरू करने की कोशिश नहीं की है। टिकैत ने कहा, ”पिछले दो वर्ष से हमारा प्रयास रहा है कि एसकेएम एकजुट रहे और कोई भी आह्वान एक साथ किया जाए। एसकेएम उस (दिल्ली चलो) आंदोलन का हिस्सा नहीं है। वे (एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम) केंद्र सरकार से बात कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एसकेएम इसलिए बनाया गया था ताकि किसान एकजुट हो सकें। उन्होंने दावा किया कि अब, किसानों को विभाजित करने के लिए कई नए किसान संघ बनाए जा रहे हैं और यह एक ”साजिश” का हिस्सा है। उन्होंने कहा, ”मैंने इस (दिल्ली चलो) आंदोलन की शुरुआत में कहा था कि यह (लोकसभा) चुनाव खत्म होने तक जारी रहेगा। आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के कुछ सदस्य, खुद को किसान बताकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। कुछ मंत्रियों ने लोगों से इस बारे में बात की कि एसकेएम को कैसे तोड़ा जाए। ऐसा सिर्फ एक नया एसकेएम बनाकर किया जा सकता है, जिसके साथ सरकार बातचीत कर सकती है।” टिकैत ने आरोप लगाया कि किसानों को विभाजित करने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के इशारे पर कई नए किसान संगठन बनाए जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया, ”नोएडा में भारतीय किसान यूनियन के नाम से 37 किसान संगठन पंजीकृत हैं। यहां तक कि विधायक भी ऐसे संगठनों का नेतृत्व कर रहे हैं।
भारत सरकार की प्राथमिकता है कि हर जिले में 30 से 40 नये संगठन बनाये जाये ताकि लोगों को बांटा जा सके।” वर्ष 2021 में 26 जनवरी को हुई घटना के बारे में बात करते हुए टिकैत ने आरोप लगाया कि ”प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व पुलिस ने किया था।” उस दिन दिल्ली में ‘ट्रैक्टर मार्च’ के दौरान कुछ किसान जबरदस्ती लाल किले में घुस गये थे। लालकिले के बाहर ट्रैक्टर थे और आईटीओ क्षेत्र में पुलिस के साथ झड़पें हुई थीं। उन्होंने दावा किया, ”दिल्ली पुलिस और अन्य सभी पुलिस बल साजिश रच रहे थे। छब्बीस जनवरी की घटना एक साजिश थी, 27-28 जनवरी को जो कुछ हुआ वह भी एक साजिश थी।” उत्तर प्रदेश सरकार ने 28 जनवरी, 2021 को किसानों को गाजीपुर सीमा खाली करने का आदेश दिया था और पुलिस ने विरोध स्थल पर बिजली और पानी के कनेक्शन काटकर उन्हें हटाने की कोशिश की थी। अगले दिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हजारों किसान गाजीपुर सीमा पहुंचे और आंदोलन तेज हो गया था। बीकेयू नेता टिकैत ने आरोप लगाया कि सरकार साजिशें रचती रहती है।