झारखंड में इस बार सर्दियों के मौसम में दिसंबर से लेकर फरवरी तक मटर समेत हरी सब्जियों के दाम में कमी नहीं आयी. साथ ही एक और बात देखने के लिए मिल रही है कि इस बार आम के पेड़ों में मंजर नहीं दिखाई दे रहे हैं. जबकि अमूमन बसंत ऋतु शुरू होते ही आम के पेड़ों में मंजर आ जाते हैं. इस बार में पूछने पर स्थानीय जानकार किसान बताते हैं कि इस बार सर्दियां लंबी हो गई है इसके कारण आम के पेड़ों में मंजर अब तक नहीं आ रहे हैं. साथ ही इस बार सर्दियों में बारिश और ओले गिरने के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हुई हैं, इसके कारण दाम में कमी नहीं आयी है.
रांची जिले के मांडर प्रखंड के ही किसानों ने बताया कि पाला और ओलावृष्टि के कारण उनके कई एकड़ में लगी मटर की खेती को नुकसान हुआ. अधिकांश किसानों ने बताया कि उनके खेत में लगी लगभग 70 फीसदी मटर मौसम के मार की भेंट चढ़ गई. इसके कारण इस बार मटर की पैदावार कम हुई. जिस वजह से इस बार दाम में कमी नहीं आई. चुंद गांव के किसान अभिराम उरांव ने टीवी 9 को बताया कि ओलावृष्टि के कारण उनकी 10 डिसमिल में लगी मटर पूरी तरह बर्बाद हो गई जो पहली तुड़ाई कोे लिए तैयार थी. इसके अलावा रांची के कांके प्रखंड के किसानों को भी काफी नुकसान हुआ क्योंकि ओलावृष्टि के बाद वहां का नजारा कश्मीर की तरह हो गया था.
किसानों का नुकसान सिर्फ झारखंड तक की सीमित नहीं रहा. मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में भी किसानों को ओलावृष्टि के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा. प्रदेश में ओलावृष्टि के कारण लगभग एक दर्जन गावों में गेहूं, मटर, सरसों, ज्वार और अन्य फसलों को काफी नुकसान हुआ. ओलों का वजन 10-50 ग्राम तक था, जो शाम तक नहीं पिघले थे. 25 दिसंबर के बाद से राज्य के 52 में से नौ जिलों में बारिश हुई है.