आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस की बढ़ती चुनौतियों के मद्देनजर इसी साल अगस्त में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित होगा। इस सम्मेलन में भारत सहित दुनिया भर के देशों से 400 से ज़्यादा ए आई विशेषज्ञ शामिल होंगे। देव संस्कृति विश्व विद्यालय के प्रति कुलपति और गायत्री परिवार के डॉ. चिन्मय पंड्या ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में यह जानकारी देते हुए कहा कि एआई के अगले संस्करण से पहले एथिकल गाइड लाइन की जरूरत है। उन्होंने कहा अगर ए आई की चुनौतियों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो यह भस्मासुर बन जाएगी। उन्होंने कहा हिरोशिमा अपील में शामिल हुए जापान के प्रधानमंत्री, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट के शीर्ष अधिकारियों के अलावा पोप और मक्का के लोगों के साथ मंथन में तय हुआ था कि ए आई के लिए आध्यात्मिक नियंत्रण और संरक्षण की जरूरत है।
कार्यक्रम में चुनौतियों पर चर्चा के दौरान कहा गया कि आज जो सबसे बड़ी समस्या है, वह इस दृष्टि से है कि एक सामान्य व्यक्ति उस एआई से परिचित नहीं है, जिससे बाकी के वैज्ञानिक परिचित हैं। यदि किसी को इस बात का अंदाजा लगाना हो, अनुमान लगाना हो कि चुनौती कितनी भयावह है, तो जेफरी हिंटन को सुन करके देखिए। जिन्होंने एआई को जन्म दिया। जिस सुपर कंप्यूटर पर आज एआई अपने को प्रशिक्षित कर रहा है, उस सुपर कंप्यूटर की स्पीड 36.8 पेटाफ्लॉप्स है, जो कि मनुष्य के मस्तिष्क की तुलना में तीन गुना ज्यादा है । मनुष्य से एआई की जो स्पीड है, वह आज से 20 वर्ष के बाद वन बिलियन गुना ज्यादा होगी। एआई की चुनौतियां मानवता के हर पहलू को प्रभावित करेंगी।