प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल में जमीन के एक विवाद में मारे गए छह लोगों में से एक मृतक प्रेमचंद यादव के मकान को ध्वस्त करने के देवरिया जिले के राजस्व अधिकारी के आदेश पर सोमवार को रोक लगा दी। देवरिया के तहसीलदार ने पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव के मकान को ध्वस्त करने का 11 अक्टूबर को आदेश जारी किया था। दो अक्टूबर को प्रेमचंद पर उसके प्रतिद्वंदी सत्यप्रकाश दूबे और उसके परिजनों ने तेज धारदार हथियार से हमला कर उसकी हत्या कर दी थी। बदले की कार्रवाई में प्रेमचंद के समर्थकों ने दूबे के घर पर धावा बोलकर दूबे और उसके परिवार के अन्य सदस्यों की नृशंस हत्या कर दी थी। न्यायमूर्ति चंद्र कुमार राय ने प्रेमचंद यादव के पिता राम भवन यादव द्वारा दायर की गयी अपील पर यह आदेश पारित किया।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि अधिकारी मकान को ध्वस्त करने पर अड़े हैं और उनके मुवक्किल को यूपी राजस्व संहिता 2006 की धारा 67(5) के तहत अपील करने का अवसर नहीं दिया गया जिसकी वजह से यह याचिका दायर की गई। उन्होंने कहा कि मेरिट पर भी तहसीलदार का आदेश पोषणीय नहीं है, याचिकाकर्ता को अपना पक्ष रखने का उचित अवसर नहीं दिया गया और न ही सर्वेक्षण और चिह्नीकरण किया गया। वहीं, राज्य सरकार के वकील ने कहा कि विवादित जमीन खलिहान के तौर पर दर्ज है, इसलिए इस मामले में कोई हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने कहा, “निर्देश दिया जाता है कि ध्वस्तीकरण के लिए तहसीलदार द्वारा 11 अक्टूबर को पारित आदेश, याचिकाकर्ता की अपील के निस्तारण होने तक प्रभावी नहीं होगा। याचिकाकर्ता को जिलाधिकारी के समक्ष दो सप्ताह के भीतर अपील करने का निर्देश दिया जाता है।