बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय के एक अगस्त के उस फैसले पर ‘कांग्रेस की चुप्पी’ पर सवाल उठाया, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के बीच ‘क्रीमी लेयर’ की पहचान करने के लिए एक नीति बनाने का निर्देश दिया गया है। मायावती ने कहा कि आरक्षण को ‘निष्प्रभावी’ बना दिया गया है जिसे ‘प्रभावी’ बनाया जाना चाहिए और इसके लिए जल्द ही संसद का सत्र बुलाया जाना चाहिए। लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत में बसपा प्रमुख ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार और बाकी (राजनीतिक) दलों को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई ने एक अगस्त को कहा था कि राज्यों को एससी-एसटी के बीच ‘क्रीमी लेयर’ की पहचान करने के लिए एक नीति बनानी चाहिए और उन्हें आरक्षण के लाभ से वंचित करना चाहिए। मायावती ने कहा, ”एससी-एसटी आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय के एक अगस्त के फैसले पर कांग्रेस अब तक चुप क्यों है? कांग्रेस उन राज्यों में अपना रुख क्यों स्पष्ट नहीं कर रही है, जहां उसकी सरकार है? दूसरे शब्दों में, यह पार्टी (कांग्रेस) वहां भी चुप क्यों बैठी है? या क्या ये कहा जाए कि कांग्रेस पार्टी इस फैसले को स्वीकार करती है और इस पर अमल करती है?” उन्होंने दिल्ली और पंजाब में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी से भी अपना रुख स्पष्ट करने को कहा।
एससी और एसटी समुदाय के लोगों से इन दलों की ‘दोहरी नीति’ से सावधान रहने का आग्रह करते हुए मायावती ने कहा, ”जिन दलों ने संविधान और आरक्षण बचाने के नाम पर 18वीं लोकसभा के चुनाव में इन समुदायों के वोट बटोरे और सबसे ज्यादा सीट हासिल कीं, तथा उनकी (एससी और एसटी) हितैषी एकमात्र पार्टी (बसपा) को नुकसान पहुंचाया।” उन्होंने कहा, ”मैं सभी दलों से अनुरोध करती हूं कि वे देश के करोड़ों एससी-एसटी के सामने फैसले के बारे में अपना रुख स्पष्ट करें, ताकि इन वर्गों के सामने सही स्थिति सामने आ सके।” कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा, ”वे चुनाव के दौरान संविधान और आरक्षण बचाने की बड़ी-बड़ी बातें करते थे। अब वे संविधान की प्रति किसी को नहीं दिखा रहे हैं। अब कांग्रेस पार्टी और कंपनी आरक्षण की बात नहीं कर रही है।
भाजपा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, ”भाजपा की तरफ से आश्वासन आया है। प्रधानमंत्री की तरफ से आश्वासन आया है। आश्वासन से काम नहीं चलेगा। इस फैसले से एससी-एसटी वर्ग के लोगों को जो नुकसान होगा, उस पर उन्हें रुख स्पष्ट करना चाहिए।” मायवती ने कहा कि उन्होंने संसद सत्र को अनिश्चितकाल के लिए कल स्थगित कर दिया, लेकिन बेहतर यह होता कि सत्र चलता और 5-6 दिन बाद पूरी तैयारी करके इस मामले में संसद में संशोधन विधेयक पेश करते, लेकिन इसे नहीं लाया गया। उन्होंने कहा, ”मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहती हूं कि अगर इन वर्गों को लेकर आपकी नीयत साफ है, तो आपने अन्य मुद्दों पर समय से पहले सदन बुलाया था। आप कभी भी सदन बुला सकते हैं, इसके लिए तैयारी करें। उच्चतम न्यायालय के एक अगस्त के फैसले को निरस्त करें।
सदन बुलाएं, सदन में सभी दलों का रुख पता चल जाएगा।” उन्होंने कहा, ”आरक्षण जो ‘निष्प्रभावी’ हो गया है, उसे प्रभावी बनाने के लिए संसद सत्र को जल्द ही अल्प सूचना पर बुलाया जाना चाहिए। भाजपा सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। अन्य दलों को भी अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।” केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को जोर देकर कहा था कि बी आर आंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान में एससी-एसटी के लिए आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ का कोई प्रावधान नहीं है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को कहा कि भीम राव आंबेडकर के दिए संविधान में अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के आरक्षण में ‘मलाईदार तबके’ (क्रीमी लेयर) के लिए कोई प्रावधान नहीं है। ‘क्रीमी लेयर’ का तात्पर्य एससी एवं एसटी समुदायों के उन लोगों और परिवारों से है जो उच्च आय वर्ग में आते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए संविधान में प्रदत्त आरक्षण के उप-वर्गीकरण को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर विस्तृत चर्चा हुई थी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णयों के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा था कि मंत्रिमंडल की बैठक में उच्चतम न्यायालय के उस हालिया फैसले पर विस्तृत चर्चा हुई जिसमें एससी-एसटी के लिए आरक्षण के संबंध में कुछ सुझाव दिए गए थे। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल का यह सुविचारित मत है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार डॉ. आंबेडकर के दिए संविधान के प्रावधानों के प्रति प्रतिबद्ध है। वैष्णव ने कहा था, ”बी आर आंबेडकर के दिए संविधान के अनुसार, एससी-एसटी आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ के लिए कोई प्रावधान नहीं है।” उन्होंने कहा था कि एससी-एसटी आरक्षण का प्रावधान संविधान के अनुरूप होना चाहिए। वैष्णव ने इस मुद्दे पर किसी विधायी बदलाव की योजना के बारे में पूछे जाने पर कहा, ”मैंने आपको कैबिनेट बैठक में हुई चर्चा के बारे में बता दिया है।” उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई ने एक अगस्त को कहा था कि राज्यों को एससी-एसटी के बीच ‘क्रीमी लेयर’ की पहचान करने के लिए एक नीति बनानी चाहिए और उन्हें आरक्षण के लाभ से वंचित करना चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के अंदर उप-वर्गीकरण और ‘क्रीमी लेयर’ संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले के प्रति विरोध जताते हुए शनिवार को कहा कि सरकार को यह फैसला आते ही इसे संसद के माध्यम से निरस्त करना चाहिए था। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर आरक्षण खत्म करने के प्रयास का आरोप लगाया और यह भी कहा कि किसी को क्रीमी लेयर के फैसले को मान्यता नहीं देना चाहिए तथा जब तक छुआछूत है, तब तक आरक्षण रहना चाहिए। खरगे ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ”पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय के सात न्यायाधीशों ने एक फैसला दिया है जिसमें एसी-एसटी वर्ग के लोगों के उप-वर्गीकरण के साथ ही क्रीमी लेयर की भी बात की गई है।
भारत में दलित समुदाय के लोगों के लिए आरक्षण बाबासाहेब के ‘पूना पैक्ट’ के माध्यम से मिला था। बाद में पंडित जवाहरलाल नेहरू जी और महात्मा गांधी जी द्वारा आरक्षण नीति को जारी रखा गया।” उन्होंने कहा, ”जब तक इस देश में छुआछूत है, तब तक आरक्षण रहना चाहिए और रहेगा। उसके लिए हम लड़ते रहेंगे। मेरी अपील है कि सभी मिलकर इस क्रीमी लेयर के फैसले को मान्यता न दें। कर्नाटक में आज भी ऐसे कुछ गांव हैं, जहां लोगों को अंदर आने नहीं दिया जाता। जब तक देश में ऐसी चीजें चल रही हैं, आप आरक्षण खत्म नहीं कर सकते।