मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि नए उत्तर प्रदेश में खेती-किसानी अब निराशा नहीं, नवआशा की प्रतीक है। उन्होंने कहा कि किसान वही, मेहनत वही, खेत वही, प्रशासन वही, अधिकारी वही, इच्छाशक्ति वही फिर क्या वजह थी कि परमात्मा एवं प्रकृति की असीम कृपा वाले उत्तर प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों में किसान अपनी अपेक्षा के मुताबिक उत्पादन करने की बजाय आत्महत्या को मजबूर हो रहे थे। श्री योगी ने कहा कि गन्ना किसानों को भुगतान नहीं हो रहा था। मकई, तिलहन, दलहन, आलू, बाजरा, ज्वार, धान, गेहूं के लिए चलने वाले क्रय केंद्रों की दशा खराब थी।
उन्होंने कहा कि वजह स्पष्ट थी नीति का अभाव, दृष्टि का अभाव और सबसे बड़ी बात, किसान के प्रति संवेदना का अभाव। पूर्ववर्ती सरकारें किसानों की समस्याओं को केवल चुनावी भाषणों में याद करती रहीं, जमीन पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। न सिंचाई की व्यवस्था सुधरी, न आधुनिक तकनीक किसानों तक पहुंची। उन्होंने कहा कि ”मेहनतकश अन्नदाता कर्ज, सूखा और घटते उत्पादन के बोझ तले दबता चला गया। लेकिन वर्ष 2017 के बाद की तस्वीर इससे बिल्कुल अलग है। सीएम योगी ने कहा ‘आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज के नेतृत्व में ”नया उत्तर प्रदेश” कृषि क्रांति की ओर बढ़ते हुए ‘समृद्ध किसान-समृद्ध प्रदेश’ के संकल्प को साकार कर रहा है।

