गुलामी की मानसिकता के चलते हमने भारतीयता को महत्व देना बंद कर दिया : आदित्यनाथ

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को कहा कि गुलामी की मानसिकता हमारे मन में इस कदर घर कर गयी कि हमने भारतीयता को महत्व देना बंद कर दिया है। मुख्यमंत्री ने लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, कभी दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित संस्थाएं भारत में हुआ करती थीं। क्या ऐसा कोई देश, धर्म या संप्रदाय है, जो 5,000-12,000 साल पहले का गौरवशाली इतिहास दुनिया के सामने रख सके। गत 22 जनवरी को प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी द्वारा अयोध्या में भगवान श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को देश और दुनिया ने देखा। उन्होंने कहा, त्रेतायुग हजारों साल पुरानी परंपरा है। भगवान श्री राम का जन्म त्रेतायुग के अंत में हुआ था। न जाने कितने युग बीत गए लेकिन हम परंपरा के वाहक बने रहेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा, इतिहास वैदिक परंपरा, ग्रंथों, ग्रंथों, स्मृतियों और पुराणों के माध्यम से मौजूद है। हमने उस परंपरा के विस्तार का काम रोक दिया है। खुद पर गर्व करने के बजाय हमने दूसरों को हेय दृष्टि से देखा और अजनबियों को महत्व देना शुरू कर दिया। गुलामी की मानसिकता हमारे मन में इतनी घर कर गई कि हमने भारतीयता को महत्व देना बंद कर दिया। आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि अगर हम अपनी जिम्मेदारियों को सही ढंग से समझें तो प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुसार दुनिया की कोई भी ताकत हमें 2047 में भारत को एक विकसित देश के रूप में स्थापित करने से नहीं रोक सकती। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षण संस्थान युवाओं को शिक्षित बना रहे हैं, डिग्री और प्रमाणपत्र दे रहे हैं, लेकिन जब छात्र उच्च शिक्षण संस्थान से बाहर आता है तो उसे यह ज्ञान नहीं होता कि उसे आगे क्या करना है। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम उस भटकाव को दूर करने का एक माध्यम है। आदित्यनाथ ने शिक्षण संस्थानों का आह्वान करते हुए कहा, न केवल शिक्षित करें, बल्कि ज्ञानवान भी बनाएं। छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान से परिपूर्ण होना चाहिए। जब वह शिक्षण संस्थान छोड़े तो उसे स्वयं को भारत के एक नागरिक के रूप में जानना चाहिए जो आत्मविश्वास से भरा हुआ है।

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