सीएम योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश पर ‘पीडीए’ नारे को लेकर निशाना साधा

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अखिलेश यादव पर उनके ‘पीडीए’ नारे को लेकर निशाना साधा और समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष पर ओबीसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के प्रति अनादर दिखाने का आरोप लगाया। सिंह की तीसरी पुण्यतिथि पर ‘हिदू गौरव दिवस’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आदित्यनाथ ने राम मंदिर आंदोलन के अहम नेता रहे सिंह को श्रद्धांजलि नहीं देने और “माफिया मुख्तार अंसारी के मरने पर मातम मनाने’ के लिए यादव पर निशाना साधा। सिंह छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद पर ‘कारसेवकों’ द्वारा हमला किए जाने के समय प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उनका 21 अगस्त 2021 को निधन हो गया। उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से मरणोपरांत सम्मानित किया गया। आदित्यनाथ ने कहा, ‘सपा के मुखिया (अखिलेश यादव) बाबूजी (कल्याण सिंह) के दिवंगत होने पर उन्हें श्रद्धांजलि देने नहीं गये मगर सैकड़ों हिन्दुओं के खून से जिसके हाथ रंगे हुए थे, ऐसे दुर्दांत माफिया (मुख्तार अंसारी) की मजार पर फातिहा पढ़ने चले गये। क्या यही पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) है? यही पीडीए का वास्तविक चरित्र है।

मुख्यमंत्री ने कहा, ”इनका चरित्र देखना है तो अयोध्या और कन्नौज में बालिकाओं के साथ जो घटनाएं हुई, उन्हें देखिये। वही इनका चरित्र है। जब तक हम इनका एकजुट होकर मुकाबला नहीं करेंगे तब तक ये प्रदेश की जनता को ऐसे ही बेवकूफ बनाते रहेंगे। ये उन्हें ऐसे ही छलते रहेंगे।” पीडीए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा पिछले लोकसभा चुनाव से पहले दिया गया नारा है। इसके तहत पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों को एकजुट करने का आह्वान किया गया था। सपा और उसकी सहयोगी कांग्रेस ने गत लोकसभा चुनाव में भाजपा को झटका देते हुए उत्तर प्रदेश की 80 में से 43 सीट हासिल की थीं। आदित्यनाथ ने हिन्दुओं के एकजुट होने की जरूरत बताते हुए कहा, ”हमें हिन्दू एकता के महत्व को समझना होगा। हिन्दू कोई जाति, मत या मजहब नहीं है। यह भारत की सुरक्षा, एकता और अखंडता की गारंटी है। जब तक सनातन अटूट है तब तक भारत अखंड है। जिस दिन यह बिखरा तो देश को तिनका-तिनका करके बिखेर दिया जाएगा। हमें यह कतई नहीं होने देना है।” उन्होंने किसी का नाम लिये बगैर कहा, ”आपको बांटने की कोशिश करने वालों का चरित्र और चेहरा अलग है। जब भी उन्हें मौका मिला तब उन्होंने सनातन को नुकसान पहुंचाया।

राम जन्म भूमि आंदोलन में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के योगदान को याद करते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि सिंह ने उस समय की ताकतों से विपरीत परिस्थितियों में मुकाबला किया, मगर वह रामजन्मभूमि आंदोलन से कभी पीछे नहीं हटे। उन्होंने कहा, ”छह दिसंबर 1992 का समय आया। केन्द्र सरकार का दबाव था कि अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलायी जाए। उस समय के मुख्यमंत्री बाबूजी (कल्याण सिंह) ने कहा कि हम ऐसा नहीं करेंगे, और कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने अपने पद पर बने रहने के बजाय संघर्ष का रास्ता चुना।” आदित्यनाथ ने कहा कि कल्याण सिंह ने कभी जातिवाद को प्रश्रय नहीं दिया, समाज को विभाजित करने वाली ताकतों से हमेशा दूरी बनाये रखी। उन्होंने कहा, ”जब अयोध्या में रामभक्तों पर (1990 में) गोलियां चलायी गयी थीं, उस वक्त की सरकार हिन्दुओं को आपस में बांट रही थी और रामभक्तों पर गोलियां चला रही थी। अगर कोई उससे टकराया था तो वह व्यक्तित्व कल्याण सिंह जी का था। उन्होंने संकल्प लिया था कि जातीयता का जहर घोलकर भारत के सामाजिक तानेबाने को छिन्न भिन्न करने के प्रयासों को कभी सफल नहीं होने देंगे।

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