लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए भाषण को लेकर शुक्रवार को उन पर निशाना साधा और इसे ‘बेहद निराशाजनक’ बताया। मायावती ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘इस बारे में भारतीय जनता पार्टी के सांसदों को दिया आश्वासन भी प्रधानमंत्री को याद नहीं रहा, जबकि देश के अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्गों को ऐसा ही जातिवादी रवैया अपनाने पर कांग्रेस से शिकायत थी, क्योंकि इस पार्टी ने भी इनके उपवर्गीकरण और उन्हें बांटने पर भाजपा की तरह ही अभी तक चुप्पी साध रखी है, जो अनुचित है।’
बसपा प्रमुख ने कहा, ‘प्रधानमंत्री का 78वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दिया गया भाषण काफी लंबा चौड़ा था, लेकिन करोड़ों दलितों और आदिवासियों के आरक्षण आदि के हक की रक्षा के लिहाज में अत्यंत निराशाजनक रहा। उच्चतम न्यायालय के एक अगस्त 2024 के निर्णय के बाद यह बेहद महत्वपूर्ण और ज्वलन्त मुद्दा।’ उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री द्वारा कल 15 अगस्त को लाल किले से बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की सभी धर्मों के प्रति समान (ढंग से) सम्मान (करने) के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत की संवैधानिक व्यवस्था को ‘कम्युनल’ कहना क्या उचित है? सरकार संविधान की मंशा के हिसाब से सेक्युलरिज्म का पालन करे, यही सच्ची देशभक्ति व राजधर्म (है)।’ पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा, ”तना ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री द्वारा गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई व पिछड़ेपन आदि की ज्वलन्त राष्ट्रीय समस्याओं से प्रभावित करीब सवा सौ करोड़ लोगों में उम्मीद की कोई नयी किरण नहीं जगा पाना कितना सही? लोगों के ‘अच्छे दिन’ कब आएंगे?