पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम बिरादरियों को जोड़ने के लिए ”स्नेह मिलन” सम्मेलन आयोजित करेगी भाजपा

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भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति के तहत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में प्रभाव रखने वाली मुस्लिम बिरादरियों को लुभाने के लिए अगले महीने ईद के बाद इन क्षेत्रों में ‘स्नेह मिलन’ सम्मेलन आयोजित करेगी। उत्तर प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि सम्मेलनों की शुरुआत मुजफ्फरनगर से की जाएगी। उन्होंने कहा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम जाट, मुस्लिम राजपूत, मुस्लिम गुर्जर और मुस्लिम त्यागी बिरादरियों के मतदाताओं की अच्छी-खासी तादाद है। वहां के लगभग हर लोकसभा क्षेत्रों में इनकी औसतन ढाई लाख आबादी है।

अली ने कहा, पार्टी विभिन्न जिलों में ‘स्नेह मिलन एक देश, एक डीएनए सम्मेलन’ आयोजित करके इन मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करेगी। इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकतर लोकसभा क्षेत्रों के चुनावी समीकरणों पर असर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि इन सम्मेलनों की शुरुआत अगले महीने ईद के बाद की जाएगी और सबसे पहला सम्मेलन मुजफ्फरनगर में आयोजित किया जाएगा। अली के मुताबिक, ‘स्नेह मिलन’ सम्मेलन में जाट, राजपूत, गुर्जर और त्यागी समुदाय के हिंदू नेता मंच पर होंगे, जिनमें मुख्य रूप से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, मुजफ्फरनगर से सांसद संजीव बालियान और प्रदेश के राज्य मंत्री सोमेंद्र तोमर शामिल हैं।

उन्होंने बताया, स्नेह मिलन सम्मेलन के आयोजन का मकसद हिंदू और मुस्लिम जाट, राजपूत, गुर्जर तथा त्यागी बिरादरियों के बीच स्नेहपूर्ण संबंध स्थापित करना है। इन सम्मेलनों के जरिये इन समुदायों को यह समझाने की कोशिश की जाएगी कि हम सभी एक हैं, एक ही जगह पैदा हुए हैं, सबका डीएनए एक है और हमें मिलकर देश को आगे ले जाना है। अली ने कहा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम जाट, मुस्लिम राजपूत, मुस्लिम गुर्जर और मुस्लिम त्यागी बिरादरियां हिंदू समाज की इन्हीं जातियों के लोगों के साथ भाई-भाई का रवैया रखती हैं। उनमें हिंदू और मुसलमान का भेद नहीं है। बैठकें, पंचायतें और समाज की दावतें वगैरह सब बिरादरी के आधार पर ही तय होती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने इन सम्मेलनों के आयोजन का फैसला किया है।

उन्होंने कहा, यह सच है कि चाहे हिंदू हों या मुसलमान, सभी का डीएनए एक ही है। हम इस डीएनए के आधार पर ही बात कर रहे हैं और इसी बुनियाद पर हम जाट, राजपूत, गुर्जर और त्यागी बिरादरियों के हिंदू नेताओं को इन सम्मेलनों के दौरान मंच पर बुलाकर एक रिश्ता कायम करने की कोशिश करेंगे। अली ने कहा, स्नेह मिलन सम्मेलन के जरिये यह संदेश देने की कोशिश की जाएगी कि हम सब एक हैं, हमारे पूर्वज एक ही थे। इससे सामाजिक ताना-बाना मजबूत होगा और लोग अपने नेताओं से जुड़ेंगे। चूंकि, ये नेता भाजपा के हैं, इसलिए पार्टी को भी फायदा होगा।

गौरतलब है कि वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नगीना, अमरोहा, बिजनौर और सहारनपुर सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने जीत दर्ज की थी। वहीं, क्षेत्र की मुरादाबाद और संभल सीट समाजवादी पार्टी (सपा) के खाते में गई थी। भाजपा पिछले लोकसभा चुनाव में हारी गई लोकसभा सीटों पर इस बार जीत दर्ज करने के लिए व्यापक रणनीति बना रही है और स्नेह मिलन सम्मेलनों को भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है। अली ने कहा, “हां, बिल्कुल हम इसे (स्नेह मिलन सम्मेलन को) आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति का हिस्सा कह सकते हैं। मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें सत्तारूढ़ भाजपा के पास हैं। वहीं, 10 सीटों पर बसपा, तीन पर सपा और दो पल भाजपा की सहयोगी अपना दल-सोनेलाल का कब्जा है।

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