सहारनपुर मंडल में खतौली विधानसभा सीट पर हुये उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हार ने विपक्षी दलों के मनोबल में इजाफा किया है। भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ताओं का मानना है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा कैराना और मुजफ्फरनगर सीटें जीत गई थी लेकिन खतौली विधानसभा उपचुनाव के नतीजों के बाद पार्टी को अपनी रणनीति में बदलाव करने की जरूरत है। संगठन में जाट समुदाय को आंख बंद कर नेतृत्व प्रदान करना संभवत: परंपरागत मतदाताओं और समर्थकों को स्वीकार्य नहीं है।
एक कार्यकर्ता ने कहा कि पूरे उपचुनाव में जाटों ने राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) अध्यक्ष जयंत चौधरी के इशारे पर रालोद प्रत्याशी मदन भैय्या को वोट डालने का काम किया है और भाजपा के जाट नेताओं को नकार दिया है।
भाजपा नेता इस भ्रम में थे कि बसपा उम्मीदवार की अनुपस्थिति में दलितों का 40 हजार वोट भाजपा के पक्ष में मतदान करेगा लेकिन दलितों ने साफ संकेत दिया है कि यदि चुनाव में मायावती अनुपस्थित रहती हैं तो फिर वह सहारनपुर के भीम आर्मी प्रमुख और आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद के साथ हैं। चंद्रशेखर आजाद ने खतौली विधान सभा उपचुनाव में जयंत चौधरी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर भाजपा को उसी के गढ़ में हराने का काम किया है।
उन्होने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट, गुर्जर, दलित और मुसलमान खतौली उपचुनाव की तरह इकट्ठा हो जाता है जैसा कि वहां हुआ भी है तो आगे के लिए भाजपा की राह आसान नहीं है। भाजपा के एक रणनीतिकार ने बताया कि पार्टी के रणनीतिकारों ने प्रदेश सेक्टर की कमान दो-दो तीन-तीन जनप्रतिनिधियों को सौंपी हुई थी। भाजपा ने रालोद-सपा उम्मीदवार मदन भैय्या की गुर्जर बिरादरी की काट में अपनी बिरादरी के दर्जनों गुर्जर नेताओं ऊर्जा मंत्री सोमेंद्र तोमर, सहारनपुर के दो गुर्जर विधायक मुकेश चौधरी, कीरत चौधरी,, जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष चौधरी राजपाल सिंह, विधान परिषद सदस्य वीरेंद्र गुर्जर, लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर, पूर्व मंत्री नवाब सिंह नागर, पूर्व मंत्री सूरज सिंह वर्मा को चुनाव प्रचार में लगाया था। लेकिन वे अपनी गुर्जर बिरादरी पर कोई भी असर नहीं डाल सके।
राजपूत वोट इस विधान सभा क्षेत्र में मुश्किल से आठ हजार है। मुख्यमंत्री योगी आदत्यिनाथ के प्रभाव के कारण राजपूतों ने भाजपा का साथ दिया और 40 हजार सैनी बिरादरी ने जरूर भाजपा प्रत्याशी राजकुमारी सैनी का साथ दिया। खतौली विधानसभा सीट पर रालोद के सपा समर्थित उम्मीदवार मदन भैय्या को 97139 वोट मिले जबकि भाजपा की राजकुमारी सैनी 74996 वोट ही ले पाई। गौरतलब है कि खतौली विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती रही है। 1991 और 1993 में जाट बिरादरी के लोकप्रिय नेता सुधीर बालियान वहां से जीते थे। 1996 में भारतीय किसान कामगार पार्टी के निशान पर राजपाल बालियान चुनाव जीते थे जो वर्तमान में बुढ़ाना सीट से रालोद विधायक हैं।