10 मार्च को आए नतीजों ने उत्तराखंड में बड़ा उलटफेर करके दिखा दिया है। पुष्कर सिंह धामी से लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत तक चुनाव हार गए। वहीं कई और दिग्गजों को भी चुनावी जंग में पटकनी मिली है। वहीं दूसरी ओर गंगा नदी के उदगम की तरह उत्तराखंड में सरकार बनने की राह भी गंगोत्री से निकलने का मिथक इस बार भी बरकरार रहा जहां भाजपा प्रत्याशी की जीत के साथ ही पार्टी भी लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज हो गई।
पिछले कुछ वर्षों की भांति इस बार भी मतगणना के दौरान राजनीतिक दलों से लेकर आम जनता की दिलचस्पी गंगोत्री सीट का परिणाम जानने में अधिक थी और भाजपा प्रत्याशी सुरेश चौहान के जीतने की सूचना मिलते ही मान लिया गया कि अब प्रदेश में भाजपा की ही सरकार बनेगी। चौहान ने गंगोत्री सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी विजयपाल सिंह सजवाण को 8029 मतों के अंतर से हराया । इस बार प्रदेश में भाजपा ने 70 में से 47 सीटें जीतकर दो तिहाई से अधिक बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता में आने का इतिहास बनाया है। इससे पहले, 2000 में उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन से अस्तित्व में आए उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस बारी-बारी से सत्ता संभालती रही हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में उत्तरकाशी की गंगोत्री सीट से भाजपा के गोपाल सिंह रावत जीते थे और भाजपा की ही सरकार बनी थी। पिछले साल लंबी बीमारी से रावत के निधन के बाद गंगोत्री से चौहान को टिकट दिया गया था । वर्ष 2017 में 70 में से 57 सीटें जीतकर एक बडे जनादेश के साथ भाजपा ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में सरकार बनाई थी।
इससे पहले के विधानसभा चुनाव के आंकडे भी गंगोत्री के मिथक की पुष्टि करते हैं। वर्ष 2002 में पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सजवाण जीते और नारायणदत्त तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। वर्ष 2007 में भाजपा प्रत्याशी गोपाल सिंह रावत को विजय मिली और मेजर जनरल भुवनचंद्र खंडूरी के नेतृत्व में भाजपा सत्तारूढ हुई । वर्ष 2012 में एक बार फिर सजवाण के सिर पर जीत का सेहरा बंधा और विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस सत्तासीन हुई।