आजम खान और चंद्रशेखर आजाद की मुलाकात: यूपी सियासत में नया समीकरण

0
42

अभिषेक उपाध्याय। उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाल ही में एक ऐसी मुलाकात ने हलचल मचा दी है, जो 2027 विधानसभा चुनावों के समीकरण बदलने का संकेत दे रही है। समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष व नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद की सीतापुर जेल में हुई मुलाकात ने विपक्षी दलों को सतर्क कर दिया है। यह मुलाकात नवंबर 2024 में हुई, जब चंद्रशेखर ने जेल पहुंचकर आजम से करीब एक घंटे तक बात की। चंद्रशेखर ने इसे ‘पारिवारिक’ और ‘व्यक्तिगत’ बताया, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह दलित-मुस्लिम गठबंधन की दिशा में बड़ा कदम है।

आजम खान, जो 23 महीने की कैद के बाद सितंबर 2025 में जमानत पर रिहा हुए, सपा के संस्थापक सदस्य हैं। रामपुर-मुरादाबाद क्षेत्र में उनके मुस्लिम वोटबैंक का असर गहरा है। वहीं, चंद्रशेखर ने 2024 लोकसभा चुनाव में नगीना से दलित-मुस्लिम फॉर्मूले से जीत हासिल की। दोनों की यह नजदीकी सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए चुनौती बन सकती है। अखिलेश ने अक्टूबर 2025 में आजम से रामपुर में मुलाकात की, लेकिन चंद्रशेखर की एंट्री से मुस्लिम लीडरशिप पर घमासान मच सकता है।

इस मुलाकात के सियासी असर व्यापक हैं। पश्चिमी यूपी के उपचुनावों में कुंदरकी जैसी सीटों पर आजम परिवार का प्रभाव है, जहां चंद्रशेखर ने भी जनसभाएं कीं। यदि दोनों दल गठबंधन करते हैं, तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ेंगी। चंद्रशेखर ने कहा, “हम लड़ाई लड़ेंगे, आपको अकेला नहीं छोड़ेंगे।” आजम ने भी चंद्रशेखर को ‘भाई’ कहा। यह नया ‘पीडीए’ फॉर्मूला सपा-बसपा के लिए खतरा है। मायावती की बसपा भी चिंतित है, क्योंकि आजम के बसपा में जाने की अफवाहें पहले ही उड़ी थीं। सोशल मीडिया पर भी यह चर्चा का विषय बना। एक्स पर पोस्ट्स में इसे ‘विचारधाराओं का संगम’ कहा गया। कुल मिलाकर, यह मुलाकात यूपी में बहुजन एकता का प्रतीक है, जो भाजपा सरकार पर दबाव बढ़ाएगी। लेकिन क्या यह सपा को कमजोर कर देगी या नया विपक्षी मोर्चा बनेगा? आने वाले दिनों में साफ होगा। 

Previous articleध्रुव चरित्र से शुरू हुई भागवत कथा की अमृतधारा, भक्त प्रह्लाद और नरसिंह अवतार प्रसंग ने बांधा समां
Next articleबरेली बवाल में ऐक्शन: मौलाना तौकीर रजा समेत आठ लोग गिरफ्तार