उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले की स्थानीय सांसद-विधायक अदालत ने शनिवार को 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषण देने के एक मामले में उप्र सरकार के पूर्व मंत्री एवं समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान को दोषी ठहराते हुए दो साल कारावास की सजा सुनाई है। इसके पहले भी भड़काऊ भाषण देने के एक अन्य मामले में खान को सजा सुनाई जा चुकी है जिसके चलते उन्होंने अपनी विधानसभा की सदस्यता गंवा दी थी। सांसद-विधायक अदालत के न्यायाधीश शोभित बंसल ने आजम खान को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई और ढाई हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान सपा नेता आजम खान द्वारा थाना शहजादनगर के धमोरा में एक चुनावी जनसभा में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने को लेकर एक मामला तत्कालीन वीडियो निगरानी टीम प्रभारी अनिल कुमार चौहान ने दर्ज कराया था। इस मामले में आजम खान के खिलाफ तत्कालीन मुख्यमंत्री, रामपुर के तत्कालीन जिला निर्वाचन अधिकारी और निर्वाचन आयोग को निशाना बनाते हुए भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। पिछले साल रामपुर की एक सांसद/विधायक अदालत ने खान को 2019 के एक अन्य नफरती भाषण मामले में दोषी ठहराया था और उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
खान के खिलाफ उक्त मामला अप्रैल 2019 में मिलक कोतवाली क्षेत्र के खत नगरिया गांव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए रामपुर में तैनात प्रशासनिक अधिकारियों, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में दर्ज किया गया था। इस साल मई में, एक सांसद-विधायक सत्र अदालत ने सजा के खिलाफ दायर अपील को स्वीकार करते हुए निचली अदालत द्वारा खान को दी गई तीन साल की सजा को पलट दिया था। संयुक्त निदेशक (अभियोजन) शिव प्रकाश पांडेय ने बताया कि आजम खान को आज अदालत ने दोषी ठहराया है।
2019 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान आठ अप्रैल को धमोरा में एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए खान ने अभद्र भाषा और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। मामले में दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद आज फैसला सुनाया गया। अभियोजन अधिकारी अमरनाथ तिवारी ने बताया कि वीडियो निगरानी टीम के प्रभारी अनिल कुमार चौहान ने खान के खिलाफ मामला दर्ज किया था। तिवारी ने बताया कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 389 में प्रावधान है कि यदि सजा तीन वर्ष तक की होती है तो अभियुक्त को जमानत पाने का अधिकार है, अगर वह जमानत लेता है तो उसे जमानत दिया जाएगा क्योंकि खान को दो वर्ष की ही सजा हुई है, इसलिए इसमें जमानत मिल जाएगी।