इलाहाबाद उच्च न्यायालय जौनपुर की अटाला मस्जिद की प्रबंधन समिति की ओर से दायर याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई कर सकता है। इस याचिका में जौनपुर की अदालत के निर्णय को चुनौती दी गई है। जौनपुर की अदालत ने एक मुकदमा दायर करने का निर्देश पारित किया था, जिसमें वादी का दावा है कि अटाला मस्जिद मूल रूप से एक प्राचीन हिंदू मंदिर-अटाला देवी मंदिर था। इससे पूर्व, आठ नवंबर को न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने इस वाद में वादी स्वराज वाहिनी एसोसिएशन और संतोष कुमार मिश्रा को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने और याचिकाकर्ता (प्रबंधन समिति) को एक सप्ताह के भीतर रिज्वाइंडर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।
वादकारियों ने जौनपुर की अदालत में वाद दायर कर यह घोषणा करने की मांग की थी कि विवादित संपत्ति अटाला मंदिर है और सनातन धर्मावलंबियों को वहां पूजा करने का अधिकार है। साथ ही इन्होंने विवादित संपत्ति का कब्जा दिए जाने और गैर हिंदुओं के वहां प्रवेश पर रोक लगाने की भी मांग की थी। इसके अलावा, वादकारियों ने एक प्रतिनिधि की हैसियत से सीपीसी के आदेश 1, नियम 8 के तहत मुकदमा दायर करने की अनुमति मांगी थी। यह प्रार्थना इस वर्ष मई में स्वीकार कर ली गई जिसे अगस्त में जिला जज ने भी सही ठहराया था। अटाला मस्जिद की प्रबंधन समिति ने उच्च न्यायालय में दलील दी है कि यह वाद त्रुटिपूर्ण है क्योंकि सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकृत सोसाइटी एक न्यायिक व्यक्ति नहीं है और इसलिए वह एक प्रतिनिधि की हैसियत में वाद दायर करने के लिए सक्षम नहीं है। इसके अलावा, सोसाइटी के नियम कायदे इसे इस प्रकृति के मुकदमे में शामिल होने के लिए अधिकृत नहीं करते।