हाईकोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी

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मथुरा। मुस्लिम पक्ष इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा बृहस्पतिवार को मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही मस्जिद ईदगाह परिसर के सर्वे की मांग करने वाली याचिका को स्वीकार किए जाने के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगा। शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन कमेटी के सचिव और अधिवक्ता तनवीर अहमद ने को बताया कि कमेटी उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी। उन्होंने कहा, इस फैसले के खिलाफ जो भी कानूनी प्रक्रिया संभव होगी, वह की जाएगी।

‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने एक बयान जारी कर शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कानूनी समिति शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी को हर कानूनी सहायता प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 1991 में बाबरी मस्जिद विवाद के दौरान केंद्र सरकार ने ऐसे सभी विवादों से हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए पूजा स्थलों से संबंधित एक कानून पारित किया था जिसमें कहा गया है कि पूजा स्थलों की स्थिति ठीक वैसी ही रहेगी जैसी 1947 में थी।

उन्होंने कहा कि उम्मीद थी कि इसके बाद कोई नया टकराव पैदा नहीं होगा लेकिन जिन तत्वों को देश में शांति और सद्भावना में कोई दिलचस्पी नहीं है और जो हिंदू और मुसलमानों के बीच नफरत पैदा कर रहे हैं, वे ऐसा करके अपना राजनीतिक हित पूरा करना चाहते हैं। गौरतलब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह परिसर की अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण कराने की मांग वाली याचिका स्वीकार कर ली। अदालत ने इस सर्वेक्षण की निगरानी के लिए एक अधिवक्ता आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की। शाही मस्जिद ईदगाह परिसर के बारे में याचिकाकर्ताओं का दावा है कि ऐसे संकेत मिले हैं जो बताते हैं कि यह कभी एक हिंदू मंदिर था। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अदालत ने कहा कि 18 दिसंबर को अगली सुनवाई में सर्वेक्षण के तौर-तरीकों पर चर्चा की जाएगी।

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