कानपुर पुलिस ने एक ठेकेदार और एक तकनीकी विशेषज्ञ सहित छह लोगों की गिरफ्तारी के साथ एक गिरोह का भंडाफोड़ करने का दावा किया, जिसने कानपुर बिजली आपूर्ति कंपनी (केस्को) के भुगतान ‘गेटवे यूआरएल कोड’ में छेड़छाड़ करके 1.68 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की थी। पुलिस आयुक्त बीपी जोगदंड ने इसे धोखाधड़ी का संभवत: पहला ऐसा मामला करार दिया और कहा कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि जालसाजों ने साइबर हैकर की मदद से केस्को के भुगतान गेटवे यूआरएल कोड के साथ छेड़छाड़ करके 1700 से अधिक बिजली उपभोक्ताओं के पैसे फर्जी खातों में स्थानांतरित कर दिए। उन्होंने बताया कि पकड़े जाने से बचने के लिए आरोपियों ने कानपुर में बैंक सुविधाओं का लाभ उठाने के बजाय बागपत जिले में उसी निजी क्षेत्र के बैंक में फर्जी बैंक खाते खोले।
पत्रकारों से बातचीत में जोगदंड ने बताया कि केस्को के अधिकारियों ने बिजली उपभोक्ताओं के भुगतान विवरण को खंगाला तो पता चला कि बैंक ने केस्को के खाते में 1.68 करोड़ रुपये से अधिक हस्तांतरित नहीं किए हैं। केस्को के प्रबंध निदेशक सैमुअल पॉल एन. ने एक पखवाड़े पहले ही अधीक्षण अभियंता आशीष दीक्षित को ग्वालटोली थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने को कहा था। पुलिस ने आपराधिक विश्वासघात के आरोप में वरिष्ठ प्रबंधक, प्रबंधक और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। पुलिस उपायुक्त (अपराध) मनीष चंद्र सोनकर ने पीटीआई-भाषा से कहा कि धोखाधड़ी के मामले की जांच की गई और पाया गया कि उपभोक्ताओं के पैसे को फर्जी खाते (केस्को इलेक्ट्रॉनिक्स) में भेजा गया था, जो कि बागपत में निजी क्षेत्र के बैंक के साथ खोला गया था।
पुलिस उपायुक्त ने कहा, आपराधिक खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के बाद जालसाजों को पकड़ने के लिए चार टीम का गठन किया गया था। एक मुख्य साजिशकर्ता सहित दो गिरफ्तारियां बुलंदशहर जिले से की गईं, जबकि चार अन्य लोग बागपत से गिरफ्तार किए गये। गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान कथित मुख्य साजिशकर्ता सुहैल खान (40), विवेक कुमार शर्मा (40), अनिल कुमार (37), करण राणा (20), योगेंद्र सिंह (40) और शक्ति (39) के रूप में हुई। पुलिस ने 90,50,000 रुपये की नकदी, 31 मोबाइल फोन और विभिन्न बैंकों के 30 एटीएम कार्ड और कुछ दस्तावेज भी बरामद किए हैं। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि केस्को और बैंक के कुछ अधिकारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में है।