अभिषेक उपाध्याय। उत्तर प्रदेश के फैजाबाद लोकसभा सीट पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। ये सीट बीजेपी के लिए सबसे महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है। इसी साल अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन किया गया था और इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन हुआ था। इसके बावजूद बीजेपी कैसे चुनाव हार गई, ये किसी को समझ नही आ रहा है। वो भी तब जब पीएम मोदी की लोकप्रियता अपने शीर्ष पर थी। अयोध्या में हुए तमाम विकास कार्य भी इस चुनाव में बीजेपी को ये सीट नहीं जीता पाए। अयोध्या के युवा इसकी पूरी कहानी बता रहे हैं। अयोध्या के युवाओं की माने तो अयोध्या के बीजेपी कैंडिडेट लल्लू सिंह से लेकर संविधान तक बने हार की वजह।
युवाओं की माने तो अयोध्या में विकास काफी हुआ है मगर स्थानीय फैक्टर हावी हो गए। लल्लू सिंह जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ नहीं पाए। संविधान का मुद्दा इस बीत गर्माता गया। किसी ने ये सोचा भी नही कि ये मुद्दे इतना बड़ा नुकसान कर सकते हैं। पुलिस प्रशासन के बेलगाम होने के आरोपों ने भी बड़ा नुकसान किया। यूपी में पेपर लीक होना भी हार का एक बड़ा कारण रहा है। लोग बहुत ही साफ कह रहे हैं कि अगर सरकार रोजगार पर काम नही करेगी तो सिर्फ नारों से वोट नही मिलेंगे। नई नौकरी न निकलना। नौकरियों में धांधली की खबरें और इसके बाद पेपर लीक सरकार के लिए अभिशाप बन गया।
राम मंदिर के पक्ष में अयोध्या के नागरिक हैं मगर रोजगार उससे कम मुद्दा नही दिखा। उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव के नतीजे हैरान कर देने वाले हैं और ये केवल राजनीतिक पार्टियों के लिए ही नहीं बल्कि राजनीतिक पंडितों के लिए भी आश्चर्यचकित कर देने वाले रहे। बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने वास्तव में कड़ी मेहनत की, लड़ाई लड़ी, लेकिन राम मंदिर निर्माण वोट में तब्दील नहीं हुआ।
राम मंदिर के अभिषेक के चार महीने बाद ही फैजाबाद लोकसभा चुनाव में बीजेपी हार गई, जिसका हिस्सा अयोध्या भी है। बीजेपी ने पूरे चुनाव प्रचार में राम मंदिर का जिक्र किया गया। यूपी के नतीजों ने उन सभी एग्जिट पोल को भी खारिज कर दिया, जिसमें एनडीए को भारी बहुमत मिलता दिखाई दिया। लोकसभा चुनाव में भाजपा 370 सीटों के अपने लक्ष्य से काफी पीछे रह गई।
इस बीच एक कहानी ये भी सामने आई कि अयोध्या के कई गांव के लोग मंदिर और एयरपोर्ट के आसपास हो रहे जमीन अधिग्रहण से नाराज थे। साथ ही, बसपा के वोट सपा को स्थानांतरित हो गए क्योंकि अवधेश प्रसाद एक दलित नेता हैं। वे नौ बार के विधायक और सपा के प्रमुख दलित चेहरों में से एक हैं। अवधेश प्रसाद ने लल्लू सिंह को 54,567 वोटों के अंतर से हराया, जो तीसरी बार फिर से निर्वाचित होने की कोशिश कर रहे थे। अयोध्या की हार बीजेपी के लिए बहुत बड़ा सबक है।