मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों में उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग बदनाम केंद्र बन गया था, उसके नाम से युवाओं को चिढ़ होती थी, लगता था कि कहीं न कहीं यह प्रदेश के युवाओं से धोखा कर रही है। उन्होंने कहा कि वहां से भेदभाव, भ्रष्टाचार की शिकायतें आ रही थीं। उन्होंने कहा कि अब चयन की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी हो गई है, इसलिए आप भी अपने क्षेत्र में ईमानदारी से प्रदेश के विकास में सहयोग दें और कृषि क्षेत्र में विकास की रफ्तार को ‘डबल डिजिट’ में पहुंचाने में योगदान दें। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को लोकभवन सभागार में उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा अधीनस्थ कृषि सेवा के लिए चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र वितरित किया। शुक्रवार को मिशन रोजगार के तहत 431 वरिष्ठ प्राविधिक सहायकों को नियुक्ति पत्र दिया गया।
सरकारी बयान के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने कहा, कृषि प्रधान देश में हम सबसे बड़े कृषि प्रधान प्रदेश में निवास कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में कृषि बड़ी आबादी की आजीविका का माध्यम है। प्रदेश की अत्यंत उर्वरा भूमि, पर्याप्त जल एवं मानव संसाधन, वैविध्यपूर्ण कृषि जलवायु संभावनाओं को बढ़ाती है। इसके लिए केंद्र व राज्य मिलकर अनेक प्रयास कर रहे हैं। प्रदेश में इन संभावनाओं को बढ़ाने के लिए अन्नदाताओं को समय पर अच्छी तकनीक, अच्छी बीज व समय के अनुरूप तकनीक उपलब्ध कराए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में छह कृषि विश्वविद्यालय हैं, जिनका लक्ष्य केंद्र व राज्य शासन के तहत काम करते हुए प्रदेश को ना सिर्फ अच्छे कृषि स्नातक देना बल्कि किसानों के सहयोग के लिए उन तक प्रशिक्षित टीम पहुंचाना भी है। भारत सरकार के सहयोग से उत्तर प्रदेश में 89 कृषि विज्ञान केंद्र (छोटे जनपदों में एक, बड़ों में दो) संचालित किए जा रहे हैं।
आदित्यनाथ ने कहा, ”यदि हमें देश की अर्थव्यवस्था के ग्रोथ इंजन के रूप में प्रदेश को स्थापित करना है, तो उन सेक्टरों को चिह्नित करना पड़ेगा, जहां अच्छी संभावनाएं हैं। उत्तर प्रदेश में कृषि, खेती-किसानी सबसे अच्छी संभावनाओं वाला क्षेत्र है। प्रदेश में जो क्षमता है, आगामी कुछ वर्षों में थोड़ा भी प्रयास कर लेंगे, बेहतरीन तकनीक, प्रामाणिक बीजों को उपलब्ध, प्रगतिशील किसानों का सहयोग लेकर तो तीन गुना क्षमता बढ़ाने की ताकत रखते हैं। उन्होंने कहा, ”उत्तर प्रदेश खाद्यान्न उत्पादन में पूरी दुनिया का पेट भरने की क्षमता रखता है। 2014 में बागडोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिशा में काफी प्रयास किए। पहली बार किसान भी शासकीय एजेंडे का हिस्सा बने।